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SCO Summit: भारत-चीन की नजदीकियां! मोदी- जिनपिंग के बीच क्या हुई बात?

शंघाई सहयोग संगठन में शामिल देशों के समिट के दौरान बैठक के इतर मोदी और जिनपिंग की वार्ता के कई मायनों में अहम मानी जा रही है।

प्रधानमंत्री मोदी और पीएम शी जिनपिंग / X/@narendramodi

शंघाई सहयोग संगठन का शिखर सम्मेलन ऐसे वक्त में हुआ, जब दुनिया कई देश यूएस टैरिफ वृद्धि का सामना कर रहे हैं। इस समिट में वह सबकुछ हुआ जिसका अंदाजा पहले से ही कुछ एक्सपर्ट्स ने लगा रखे थे। तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने यूएस के टैरिफ वॉर के समाधान के लिए संयुक्त मंथन किया। वह क्षण अहम था जब भारत और चीन ने एकजुट होकर साझा प्रयासों को जरिए यूएस पर निर्भरता कम करने के संकेत दिए। 

पीएम मोदी और जिनपिंग की बैठक में व्यापार सहयोग, आतंकवाद और सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर सकरात्मक कदम उठाने की प्रतिबद्धता जताई गई। भारत पर अमेरिका की ओर से लागू 50 प्रतिशत टैरिफ के बीच SCO समिट के दौरान यह अहम क्षण था, जब दो अर्थव्यवस्थाओं ने एकजुटता की तरफ कदम बढ़ाने के संकेत दिए हैं। 

भारत पाक प्रायोजित आतंकवाद से पहले से ही जूझ रहा है। इस बीच यूएस ने टैरिफ वृद्धि के जरिए एक और झटका दिया। जबकि भारत ने तटस्थता दिखाई और रूस के तेल आयात बंद करने के अमेरिकी दावों के बीच अपनी शर्तों पर आगे बढ़ने की नीति अपनाई। इस बीच शंघाई सहयोग शिखर समिट में शामिल होने चीन पहुंचे भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समिट से इतर चीन के पीएम शी जिनपिंग के साथ अहम बैठक की।  

बैठक के बाद पीएम मोदी ने क्या कहा?
क्षेत्रीय सुरक्षा मंच के इतर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि नई दिल्ली बीजिंग के साथ संबंध सुधारने के लिए प्रतिबद्ध है। पीएम के एक्स अकाउंट पर पोस्ट की गई एक वीडियो क्लिप में उन्होंने कहा, "हम आपसी सम्मान, विश्वास और संवेदनशीलता के आधार पर अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"

वहीं मोदी ने शी जिनपिंग से कहा, भारत चीन के साथ संबंध सुधारने के लिए प्रतिबद्ध है। इससे पहले भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने हाल ही में कहा था कि चीन भारत पर वाशिंगटन के भारी टैरिफ का विरोध करता है। ऐसी स्थिति चीन भारत के साथ मजबूती से खड़ा है।

बता दें कि पिछले सात वर्षों के दौरान पीएम मोदी की यह पहली चीन यात्रा है। हालांकि वे इस बार यहां शंघाई सहयोग शिखर सम्मेलन में शामिल होने चीन पहुंचे हैं।

खासकर रूसी तेल आयात के विरोध में यूएस की टैरिफ दरों में अप्रत्याशित वृद्धि के बीच हो रहा यह समिट अहम है। जिसमें उनके साथ रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और मध्य, दक्षिण, दक्षिण पूर्व एशिया और मध्य पूर्व के अन्य नेता भी शामिल हो रहे हैं, जो वैश्विक स्तर एकजुटता का प्रदर्शन माना जा रहा है। 

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