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भारत-भूटान रेल प्रोजेक्ट: ₹4000 करोड़ होंगे खर्च, दोनों देशों को कितना लाभ?

भारत भूटान का सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार रहे हैं। यह रेल प्रोजेक्ट इस दिशा में एक मजबूत स्तंभ माना जा रहा है।

वर्ष 2024 अपनी भारत यात्रा के दौरान नेपाल के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने पीएम मोदी से मुलाकात की थी। / X/@narendramodi

भारत और भूटान सरकार के बीच 2 नई रेल लाइन को लेकर समझौता हुआ है। इस परियोजना में दो बड़े पुल, 29 मुख्य पुल, 65 छोटे पुल, एक रोड ओवरब्रिज, 39 रोड अंडर ब्रिज और दो 11 मीटर लंबे वायाडक्ट शामिल हैं। दावा किया जा रहा है कि कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में रेल यात्रा को सुरक्षित और सुगम बनाएंगे। इस प्रोजेक्ट पर चार हजार करोड़ रुपए (₹4000 करोड़)  खर्च होंगे। 

एक बयान में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह प्रोजेक्ट असम के कोकराझार से भूटान के गेलेफू शहर और बंगाल के बनारहाट से भूटान के समत्से को रेल लाइन के नेटवर्क से जोड़ेगा, जिससे भूटान की अर्थव्यवस्था को मजबूती के साथ वैश्विक नेटवर्क को मजबूती मिलेगी। 

एक ब्रीफिंग ने भारत और भूटान के बीच इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की भारत ने जानकारी दी।  विदेश मंत्रालय ने एक ब्रीफिंग में कहा कि भूटान नरेश और भूटान के प्रधानमंत्री नियमित रूप से भारत आते रहे हैं। महाकुंभ में भी भूटान नरेश पहुंचे थे। जबकि पीएम मोदी हाल ही में  राजगीर में भूटानी मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल होने पहुंचे थे।

दोनों देशों के बीच रेल प्रोजेक्ट को लेकर भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा,  भारत- भूटान के बीच द्विपक्षीय संबंध अहम रहे हैं। भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना, जो 2024 से 2029 तक चलेगी, के लिए भारत सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये की सहायता देने का वादा किया है, जिसमें परियोजना-आधारित सहायता, उच्च-प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाएँ, आर्थिक प्रोत्साहन कार्यक्रम और कार्यक्रम अनुदान शामिल हैं। और यह राशि 12वीं पंचवर्षीय योजना के आंकड़ों से 100% अधिक है।

ऊर्जा और बिजली सहयोग के कुछ प्रमुख क्षेत्रों  शामिल हैं। दोनों देशों की  सरकारों ने पांच जलविद्युत परियोजनाओं के संयुक्त विकास पर सफलतापूर्वक सहयोग किया है। जिसमें चुखा, ताला, मंगदेछु, कुरिछु और हाल ही पूरी हुई परियोजना पुनात्सांगछु II शामिल है। जबकि पुनात्सांगछू I निर्माणाधीन है। इसके अलावा, कुछ भारतीय निजी कंपनियां भी हैं जो भूटान में बिजली परियोजनाओं के विकास के लिए भूटानी अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रही हैं।

रणधीर जायसवाल ने ब्रीफिंग में कहा- जहां तक व्यापार का सवाल है, भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भूटान के कुल व्यापार का लगभग 80% हिस्सा भारत पर ही निर्भर है।

उन्होंने कहा- व्यापार, वाणिज्य और पारगमन पर 2016 का द्विपक्षीय समझौता भूटान और भारत के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता स्थापित करता है, और भूटान को तीसरे देशों से आने-जाने वाले माल के लिए शुल्क-मुक्त पारगमन भी प्रदान करता है।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत-भूटान के बीच रेल कनेक्टिविटी अहम है। इस प्रोजेक्ट के तहत पश्चिम बंगाल की सीमा से लगे समत्से को भूटान में विनिर्माण और निर्यात के लिए एक महत्वपूर्ण औद्योगिक शहर के रूप में विकसित किया जा रहा है। और जिन संपर्कों पर काम चल रहा है, वे माल और यात्री आवाजाही को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण होंगे।

इसी विशेष संबंध के संदर्भ में, दोनों सरकारें बानरहाट और समत्से तथा कोकराझार और गेलेफू के बीच दो सीमा पार रेल संपर्क स्थापित करने पर सहमत हुई हैं। यह भूटान के साथ रेल संपर्क परियोजनाओं का पहला सेट होगा। इस संपर्क के लिए समझौता ज्ञापन पर वास्तव में प्रधानमंत्री की भूटान यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे, जिसका मैंने कुछ समय पहले उल्लेख किया था। यह यात्रा पिछले साल हुई थी। और इस समझौता ज्ञापन पर आज भूटान के विदेश सचिव की नई दिल्ली यात्रा के अवसर पर नई दिल्ली में औपचारिक रूप से हस्ताक्षर किए जाएंगे।

वहीं रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा- भारत- भूटान के बीच रेल परियोजना मूलतः भूटान के दो अत्यंत महत्वपूर्ण शहरों को जोड़ती है। जिसमें गेलेफू शामिल है,जिसे एक माइंडफुलनेस सिटी के रूप में विकसित किया जा रहा है। जबकि दूसरा नाम समत्से है, जो भूटान का औद्योगिक शहर है। ये दोनों परियोजनाएं कोकराझार और बनारहाट स्थित भारतीय रेल नेटवर्क से शुरू होंगी। इस समय लगभग 4,033 करोड़ रुपये के निवेश की योजना है। और कुल लंबाई लगभग 90 किलोमीटर है। सटीक रूप से कहें तो 89 किलोमीटर का रेल नेटवर्क बनाया जाएगा।

वैष्णव ने कहा, वर्तमान रेल नेटवर्क में दो नीली रेखाओं के बीच जो पीली रेखा है, वह सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक गलियारा, रेल गलियारा है, जो असम और फिर दक्षिण में त्रिपुरा, मिज़ोरम, नागालैंड, मेघालय राज्यों को जोड़ता है। सभी राज्य इस पीली रेखा से जुड़ रहे हैं। ऊपर एक नीली रेखा है। वह रेखा अब उत्तरी सीमा पर एक प्रमुख गलियारे के रूप में विकसित हो रही है। और वह रेखा मूल रूप से वैकल्पिक संपर्क प्रदान करती है। और यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण परियोजना है।

इस प्रोजेक्ट के तहत कुल छह स्टेशन होंगे। इसके अलावा दो महत्वपूर्ण पुल, दो वायडक्ट हैं। यानी पूरा खंड एलिवेटेड है, 29 बड़े पुल, 65 छोटे पुल, दो अच्छे शेड बनाए जाएँगे। एक फ्लाईओवर और 39 अंडरपास हैं। इस परियोजना का निर्माण लगभग चार साल में पूरा होगा। ज़मीन का सारा शेड्यूल, सब कुछ पहले ही पूरा हो चुका है। इस स्तर तक पहुंचने के लिए पहले ही काफी तैयारी हो चुकी है।

मौजूदा रेलवे लाइन पर, हम दो छोटी कॉर्ड लाइनें भी लगाएंगे, ताकि ट्रेन के दोनों ओर आवाजाही निर्बाध रूप से हो सके। हमने देश के लगभग सभी हिस्सों में ऐसा करना शुरू कर दिया है, क्योंकि इससे गतिशीलता में सुधार होता है। इस 20 किलोमीटर लंबी परियोजना में दो स्टेशन, एक बड़ा पुल, 24 छोटे पुल, एक फ्लाईओवर और 37 अंडरपास होंगे। इसकी लागत लगभग 577 करोड़ रुपये है और इसमें लगभग तीन साल लगेंगे।

इस रेल प्रोजेक्ट को  मूल रूप से, इससे लोगों को पर्यटन, औद्योगिक विकास, लोगों के बीच आवाजाही और माल ढुलाई, दोनों ही दृष्टि से काफ़ी आर्थिक लाभ होगा। व्यावहारिक रूप से, रेलवे से मिलने वाले सभी लाभ इससे होंगे।

दूसरी परियोजना उस ऊपरी लाइन से शुरू हो रही है जिसे आप देख रहे थे। बानरहाट से समत्से दूसरी लाइन है। यह भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण परियोजना है। क्योंकि, यह औद्योगिक शहर समत्से को जोड़ती है। यह इस संरेखण का अधिक विस्तृत मानचित्र है।

भूटान को कितना लाभ?
भूटान के लोगों को बहुत बड़ा लाभ होगा। पूरा इलाका जुड़ जाएगा। और बहुत सारा माल परिवहन, जिसमें आज कई दिन लगते हैं, अब कुछ ही घंटों में होने लगेगा। हमने मिज़ोरम में देखा है कि पहले सीमेंट, स्टील या किसी अन्य मालवाहक ट्रक को राजधानी आइजोल पहुंचने में चार-पांच दिन लगते थे। अब यह कुछ ही घंटों में हो रहा है। तो, इस तरह का लाभ मिलेगा। श्रीनगर की तरह, हमने देखा है कि माल परिवहन का समय दिनों से घटकर घंटों में रह गया है। तो, यह वह लाभ है जो सामत्से के साथ-साथ गेलेफू को भी होगा।

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