भारत सरकार और यूरोपीय संघ के बीच जारी व्यापार वार्ता अहम है। जिसका जिसका उद्देश्य कृषि, डेयरी और गैर-टैरिफ बाधाओं पर मतभेदों को सुलझाना है। सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारत और यूरोपीय संघ इस सप्ताह नई दिल्ली में संभावित रूप से निर्णायक व्यापार वार्ता कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य कृषि, डेयरी और गैर-टैरिफ बाधाओं पर मतभेदों को सुलझाना है।
ट्रम्प के टैरिफ का सामना कर रहे ब्रुसेल्स ने भी व्यापार गठबंधनों के लिए अपने प्रयासों को तेज कर दिया है, मेक्सिको और दक्षिण अमेरिकी मर्कोसुर देशों के साथ समझौते किए हैं और भारत, इंडोनेशिया और संयुक्त अरब अमीरात के साथ बातचीत को आगे बढ़ाया है।
इस बीच पिछले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत द्वारा रूस से तेल खरीद के कारण भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ दोगुना करके 50% कर दिए जाने के बाद, नई दिल्ली वैश्विक साझेदारी को और गहरा करने की कोशिश कर रहा है, जिससे कपड़ा, चमड़ा और रसायन जैसे निर्यात प्रभावित हुए हैं।
यूरोपीय संघ के साथ महज एक समझौता भारत को पश्चिमी देशों के और करीब ला सकता है। एक भारतीय सरकारी सूत्र के मुताबिक, "यूरोपीय संघ के साथ बातचीत अच्छी तरह आगे बढ़ रही है।"
दरअसल, पिछले हफ्ते यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ मोदी की बातचीत हुई थी। जिसमें दोनों नेताओं ने इस साल एक समझौता करने का वादा किया था।
ऐसे में सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया कि अब तक बातचीत के तहत 23 अध्यायों में से 11 को अंतिम रूप दिया जा चुका है, जिनमें सीमा शुल्क, डिजिटल व्यापार, बौद्धिक संपदा, प्रतिस्पर्धा, सब्सिडी, विवाद निपटान और धोखाधड़ी-रोधी उपाय शामिल हैं।
हालांकि इसके अलावा भी कुछ मुद्दों पर समाधान निकलना अभी भी बाकी है। दरअसल, भारत ने किसानों की आजीविका का हवाला देते हुए कृषि और डेयरी क्षेत्र में रियायतों से इनकार कर दिया है। वहीं दूसरी ओर यूरोपीय संघ भारत के ऑटोमोबाइल और मादक पेय पदार्थों के बाजार में अधिक पहुंच के लिए दबाव बना रहा है।
एक यूरोपीय संघ अधिकारी ने बताया कि उत्पत्ति के नियमों, खाद्य सुरक्षा मानकों, श्रम और पर्यावरणीय दायित्वों, और ब्रुसेल्स द्वारा प्रतिबंधात्मक भारतीय गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों, जो गैर-टैरिफ बाधाओं के रूप में कार्य करते हैं, पर भी मतभेद बने हुए हैं।
वहीं दूसरी ओर भारत के वाणिज्य मंत्रालय और नई दिल्ली स्थित यूरोपीय संघ कार्यालय ने टिप्पणियों पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
रूसी तेल खरीद का चर्चा पर असर
ब्रुसेल्स नई दिल्ली पर रियायती रूसी तेल खरीद को लेकर भी दबाव बना रहा है, जिसके बारे में यूरोपीय संघ के अधिकारियों का कहना है कि इससे मास्को के खिलाफ प्रतिबंधों को कमजोर किया जा सकता है।
हालांकि भारत- यूरोपीय संघ के बीच चर्चा के दौरान इस मुद्दे के हावी होने की उम्मीद कम है, लेकिन यूरोपीय संघ के अधिकारियों ने कहा कि यह मुद्दा वार्ता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
इस बीच यूरोपीय कृषि आयुक्त क्रिस्टोफ हैनसेन और यूरोपीय संघ के व्यापार प्रमुख मारोस सेफ्कोविक भारत पहुंच रहें हैं। वे भारतीय समकक्षों के साथ चर्चा करेंगे।
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