कनाडा ने मंगलवार को आरोप लगाया कि भारत के गृहमंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य सहयोगी अमित शाह कनाडा की धरती पर सिख अलगाववादियों को निशाना बनाने की साजिश के पीछे थे।
यह आरोप कनाडा द्वारा इस महीने छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित करने के बाद आया है, जिसे कनाडा की धरती पर एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या से जोड़ा गया है। भारत कनाडा के आरोपों से इनकार करता रहा है और उसने भी छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित करके जवाब दिया है।
भारत और कनाडा के संबंध पिछले साल सितंबर से ही काफी खराब चल रहे हैं जब ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि कनाडा के पास सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ होने के विश्वसनीय सबूत हैं। भारत ने आरोपों से इनकार करते हुए बार-बार कहा है कि कनाडा ने अपने दावे के समर्थन में अब तक कोई सबूत साझा नहीं किया है।
इस माह की शुरूआत में भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि उसे कनाडा से राजनयिक संचार मिला, लेकिन इसमें जांच के बारे में किसी भी विवरण का उल्लेख नहीं किया गया। मंत्रालय ने कहा कि यह नया कदम उसी कड़ी का हिस्सा है, जो बिना किसी तथ्यात्मक दावों के लगाए जा रहे हैं। इससे अब कोई संदेह नहीं रह जाता कि जांच के बहाने राजनीतिक लाभ के लिए भारत को बदनाम करने की सोची-समझी रणनीति बनाई जा रही है।
मंत्रालय ने कहा कि भारत के पास अब भारतीय राजनयिकों के खिलाफ आरोप गढ़ने के कनाडा सरकार की कोशिशों के जवाब में और कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित है। बयान में आरोप लगाया गया कि ट्रूडो सरकार जानबूझकर हिंसक चरमपंथियों और आतंकवादियों को कनाडा में भारतीय राजनयिकों व सामुदायिक नेताओं का उत्पीड़न करने और धमकाने का अवसर दे रही है।
गौरतलब है कि भारत द्वारा ओटावा से देश में अपनी राजनयिक उपस्थिति कम करने के लिए कहे जाने के बाद कनाडा ने अक्टूबर 2023 में भारत से 40 से अधिक राजनयिकों को वापस बुला लिया था।
जून में कनाडा के सांसदों की एक समिति ने खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर भारत और चीन को लोकतांत्रिक संस्थानों के लिए प्रमुख विदेशी खतरा बताया था। ओटावा में भारतीय दूत संजय कुमार वर्मा इस रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित और सिख अलगाववादी प्रचारकों से प्रभावित बता चुके हैं। इस माह निष्कासन के बाद वर्मा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि भारत और कनाडा के संबंधों को ड्रूडो ने बर्बाद कर दिया है।
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