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बांग्लादेश ह्यूमन राइट्स वॉच (BHRW) के सदस्यों ने वाशिंगटन डी.सी. के नेशनल प्रेस क्लब के कॉसग्रोव रूम में 23 अप्रैल को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बांग्लादेश में बढ़ती हुई अस्थिर राजनीतिक स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की।
इस्लामवादी कट्टरपंथ में वृद्धि, व्यापक मानवाधिकार उल्लंघन तथा नोबेल शांति पुरस्कार विजेता डॉ. मुहम्मद यूनुस द्वारा कथित भ्रष्टाचार का हवाला देते हुए वक्ताओं ने अंतर्राष्ट्रीय जागरूकता और हस्तक्षेप की तत्काल अपील की है।
बता दें, प्रेस कॉन्फ्रेंस में राणा हसन महमूद, महम्मद ए. सिद्दीकी, आरिफा रहमान रूमा और डॉ. दिलीप नाथ जैसे राजनीतिक विश्लेषक और मानवाधिकार कार्यकर्ता एकत्र हुए, जिन्होंने डॉ. यूनुस पर, जो वर्तमान में एक "अवैध अंतरिम सरकार" का नेतृत्व कर रहे हैं, देश में हिंसा और धार्मिक चरमपंथ को बढ़ावा देने और वैश्विक प्रभाव और दाता धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया।
वहीं दूसरी ओर BHRW का दावा है कि डॉ. यूनुस ने असंवैधानिक तरीके से सत्ता संभाली और विदेशी सरकारों और संस्थानों से समर्थन प्राप्त किया, जिसमें बिडेन प्रशासन, संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ शामिल हैं। इसी के साथ डॉ. मुहम्मद यूनुस पर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को हटाने की साजिश रचने का आरोप लगाया है।
राजनीतिक विश्लेषक और मानवाधिकार कार्यकर्ता राणा हसन महमूद ने चेतावनी दी कि 5 अगस्त, 2024 की घटनाओं के बाद से बांग्लादेश कानून और व्यवस्था में नाटकीय गिरावट का सामना कर रहा है: "उस घटना के बाद से, देश एक ऐसे परिदृश्य में बदल गया है जहां भीड़ हिंसा कर रही है और अराजकता का बोलबाला है।
मानवाधिकार कार्यकर्ता और राजनीतिक विश्लेषक महम्मद ए. सिद्दीकी ने डॉ. यूनुस को दिए गए माइक्रोक्रेडिट की “झूठी विरासत” और विदेशी सहायता के कथित वित्तीय कुप्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया। इसी के साथ सिद्दीकी ने डॉ. यूनुस पर ग्रामीण बैंक में कानूनी सेवानिवृत्ति की आयु से अधिक समय तक अपना पद बनाए रखने तथा नियंत्रण मजबूत करने के लिए प्रशासनिक ढांचे में हेरफेर करने का भी आरोप लगाया है।
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