यह सुखद है कि अमेरिका और भारत के बीच प्रत्यक्ष रूप से टैरिफ और परोक्ष रूप से सियासत समेत कई कारणों के चलते जो खटास पैदा हुई थी और बढ़ रही थी उसे खत्म करने के लिए माहौल अनुकूल बन रहा है। संबंधों में तल्खी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राष्ट्रपति ट्रम्प के पीटर नवारो जैसे सलाहकारों ने बीते कुछ दिनों में भारत पर लगभग हर दिन 'आक्रमण' किए और कई तरह के आरोप लगाए। लेकिन अब तक दिलचस्प यह है कि संबंधों में जो बर्फ जम रही थी उसे पिघलाने की पहल राष्ट्रपति ट्रम्प की ओर से ही हुई, जबकि पहले वे भारत और खास तौर से मोदी से सीधे तौर पर बातचीत से इनकार कर चुके थे। ट्रम्प के इसी इनकार से माहौल बिगड़ने की आशंका होने लगी थी। माहौल बिगड़ भी रहा था क्योंकि अमेरिका के किसी भी 'हमले' का भारत ने उग्र या बेचैन होकर प्रतिवाद नहीं किया, अपितु संयम के साथ अपने विकल्पों पर काम करना शुरू कर दिया। अमेरिका के सियासी गलियारों में भारत के इस रुख की भी आलोचना हुई किंतु मोदी-पुतिन और जिनपिंग की 'निकटता दर्शाती' तस्वीरों ने हवाओं का रुख बदलने वाला काम किया, ऐसा प्रतीत होता है। ट्रम्प का यह बयान कि 'लगता है हमने चीन के हाथों भारत को खो दिया है' बदलते माहौल को पुष्ट करने वाला रहा। उसके बाद से ही तल्खियां तब्दील होने लगीं। और फिर ट्रम्प की ओर से बयान आया कि वे अपने 'अच्छे दोस्त' से जल्द बात करने के लिए उद्यत हैं। प्रतिकूल माहौल यहीं से अनुकूल बनता दिखा या दिख रहा है।
हालांकि भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कुछ दिन पहले भी कहा था किंतु एक बार फिर आशा जताई कि भारत और अमेरिका के बीच नवंबर तक व्यापार समझौता संभव हो सकता है। बकौल गोयल भारत-अमेरिका के बीच प्रस्तावित समझौते पर मार्च से चल रही बातचीत सकारात्मक माहौल में आगे बढ़ रही है और दोनों देश प्रगति से संतुष्ट हैं। अब ट्रम्प का भी कहना है कि समझौते में कोई कठिनाई नहीं होगी और वह जल्द ही पीएम मोदी से बात करेंगे। इसी बीच भारत में अमेरिका के नामित राजदूत सर्जियो गोर की पुष्टि सुनवाई के दौरान कही गई बात भी गौरतलब हो जाती है। गोर ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच चीन की तुलना में कहीं ज्यादा समानताएं हैं, हालांकि बहुत लंबे समय से हमारे बीच व्यक्तिगत संपर्क नहीं रहा है। इस निजी संपर्क को न सिर्फ मैं दिल्ली तक पहुंचाऊंगा बल्कि इससे राष्ट्रपति ट्रम्प भी बेहद जुड़े हुए हैं। गोर ने एक दिलचस्प बात और भी कही कि जब राष्ट्रपति ट्रम्प दूसरे देशों पर हमला करते हैं तो उनके नेताओं को निशाना बनाते हैं, लेकिन जब भारत की आलोचना करते हैं तो वह मोदी की तारीफ करने से नहीं चूकते। नियुक्ति हो जाने पर गोर ने दोनों देशों के संबंधों के लिहाज से अपनी सकारात्मक भूमिका की बात भी कही है। तो इस तरह हम पाते हैं और उम्मीद करते हैं कि अमेरिका-भारत एक बार फिर उसी लय के साथ कदमताल करेंगे जो थी और जिसकी उम्मीद की जा रही थी। यकीनन यह बदलता हुआ माहौल भारत में लोगों और कारोबारियों के साथ ही, अमेरिका में भारतीय अमेरिकियों और भारतवंशियों को भी रास आ रहा होगा।
अलबत्ता, देखना यह होगा कि राष्ट्रपति ट्रम्प ब्रिक्स पर क्या रुख अख्तियार करते हैं। देखना यह भी होगा कि रूस से भारत की नजदीकियों को लेकर अमेरिका की नीतियां क्या करवट लेंगी। और इससे भी अहम यह कि चीन और भारत की 'निकटता' को लेकर जो माहौल बना था उस पर भारत और अमेरिका एकल और युगल रूप से क्या सोचते और करते हैं।
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