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भारत और अमेरिका : समृद्धि की राहें

जहां तक भारत का सवाल है तो ट्रम्प का रुख पहले से स्पष्ट रहा है। ट्रम्प ने साफ कर दिया है कि दोस्ती अपनी जगह है लेकिन देश उससे पहले और सबसे ऊपर। 

व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में पारस्परिक टैरिफ की घोषणा करते राष्ट्रपति ट्रम्प। / Lalit Jha

अमेरिका में पिछले साल के अंत में जब चुनावी चौसर सजी थी तब ही रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनल्ड ट्रम्प ने देश को फिर से महान बनाने के नारे के साथ ही दुनिया के तमाम देशों पर जवाबी टैरिफ लगाने की बात कही थी। राष्ट्रपति चुने जाने के बाद उन्होंने अपने वादे को दोहराया। और सत्ता संभालते ही उस पर अमल का ऐलान भी कर दिया। उनके ऐलान पर हर तरफ से जवाबी प्रतिक्रियाएं आईं और अमेरिका के डेमोक्रेट खेमे से इसके विरोध में आवाज मुखर हुई और इससे देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर की बात तक कही गई। जवाबी टैरिफ को लेकर भारत में भी हलचल और आशंकाएं थीं। एक हल्की सी आस इस पर टिकी थी कि ट्रम्प के भारत के प्रधानमंत्री मोदी के साथ अच्छे संबंध हैं, दोस्ती है इसलिए हो सकता है कि गाज कम गिरे। मगर अमेरिका को समृद्ध बनाने के लिए 2 अप्रैल को राष्ट्रपति ट्रम्प की ओर से जिस जवाबी टैरिफ की घोषणा की गई वह प्रत्याशित थी। इसलिए कि पीएम मोदी के दौरे के दौरान ही यह तय हो गया था कि भारत को हर हाल में जवाबी टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। पीएम मोदी की उस यात्रा के कुछ दिन बाद ही राष्ट्रपति ट्रम्प ने एक इंटरव्यू के हवाले से यह खुलासा कर दिया था कि उन्होंने मोदी की अनिच्छा के बावजूद उनसे जवाबी कर लगाने की बात दो टूक कही है। लिहाजा घोषणा के साथ ही कई देशों पर कुछ हिस्सों में जवाबी शुल्क लागू हो चुका है। बकौल ट्रम्प यह हमारी आर्थिक स्वतंत्रता की घोषणा है, हम भारत पर रियायती शुल्क लगा रहे हैं। 

कुल मिलाकर यह तो होना ही था। इसलिए भी कि अमेरिका को महान बनाने का जो नारा ट्रम्प ने चुनाव से पहले दिया था सत्ता संभालने के बाद उससे पीछे हटना उनके लिए भी संभव नहीं था। नतीजों की गणना वे पहले ही कर चुके होंगे और परिणाम जो भी सामने आएं लेकिन ट्रम्प पहले ही देश के लोगों के लिए जता चुके हैं कि समृद्धि इसी तरह आएगी। जवाबी कर की घोषणा के वक्त जो दलीलें उन्होंने दीं वह पूर्व तैयारी के तहत ही दी गईं और दुनिया की 'मनमानी' पर विराम लगाने की उनकी यह युक्ति तुलनात्मक आंकड़ों पर टिकी हुई थी। घोषणा के वक्त उन्होंने कहा भी कि हमारे देश को अन्य देशों ने लूटा है। अमेरिकी करदाताओं को 50 से अधिक वर्षों से ठगा जा रहा है। पर अब ऐसा नहीं चलेगा। बकौल ट्रम्प मेरी राय में यह अमेरिकी इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। वर्षों तक मेहनती अमेरिकी नागरिकों को किनारे बैठने के लिए मजबूर किया गया जबकि अन्य देश अमीर और शक्तिशाली होते गए और इसका अधिकांश हिस्सा हमारी कीमत पर हुआ। इस घोषणा के बाद हम अंततः अमेरिका को फिर से महान बनाने में सक्षम होने जा रहे हैं, पहले से कहीं अधिक महान। इसके साथ ही उन्होंने परोक्ष रूप से बाइडन सत्ता प्रतिष्ठान को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि मैं इस आपदा के लिए दूसरे देशों को बिल्कुल दोषी नहीं मानता। मैं उन भूतपूर्व राष्ट्रपतियों और भूतपूर्व नेताओं को दोषी मानता हूं जो अपना काम ठीक से नहीं कर सके।

जहां तक भारत का सवाल है तो ट्रम्प का रुख पहले से स्पष्ट रहा है। उनका कहना था कि भारत बहुत, बहुत सख्त है। प्रधानमंत्री (मोदी) अभी-अभी गए हैं और मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं, लेकिन आप हमारे साथ सही व्यवहार नहीं कर रहे हैं। वे हमसे 52 प्रतिशत शुल्क लेते हैं और हम उनसे लगभग कुछ भी नहीं। इस तरह ट्रम्प ने साफ कर दिया कि दोस्ती अपनी जगह है लेकिन देश उससे पहले और सबसे ऊपर। 

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