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भारत और पोलेंड के राष्ट्रीय ध्वज / shutterstock
न्यूयॉर्क स्थित पोलैंड के वाणिज्य दूतावास और जोज़ेफ पिल्सुद्स्की इंस्टीट्यूट ऑफ़ अमेरिका मिलकर एक विशेष पैनल चर्चा का आयोजन कर रहे हैं। कार्यक्रम का विषय है- “युद्ध और उत्पीड़न से भाग रहे बच्चों के लिए सुरक्षित आश्रय कैसे बने – गुड महाराजा के पोलिश बच्चों से लेकर यूक्रेन के बच्चों तक।”
यह कार्यक्रम खास तौर पर न्यूयॉर्क में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पोलैंड और भारत के साझा इतिहास के एक अनोखे अध्याय को सामने लाता है।
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क्या है इस कार्यक्रम की खासियत?
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हजारों पोलिश परिवारों को साइबेरिया के श्रम शिविरों में भेज दिया गया था। इनमें से करीब एक हजार पोलिश बच्चों को पूर्व-स्वतंत्र भारत में शरण मिली थी। कार्यक्रम में इन्हीं बच्चों की कहानी, उनके संघर्ष और उनकी बहादुरी को याद किया जाएगा। साथ ही यह भी चर्चा होगी कि आज के युद्धग्रस्त बच्चों के लिए सुरक्षित और संवेदनशील वातावरण कैसे तैयार किया जा सकता है।
पैनल में कौन होंगे?
कार्यक्रम में कई प्रमुख अतिथि शामिल होंगे, जिनमें पोलिश लेखिका और फिल्म निर्माता मोनीका कोवालचेश्को-शुमोव्स्का, जो बताएंगी कि कैसे पोलिश बच्चे भारत के “गुड महाराजा” की देखरेख में पहुंचे, और अपेक्षा निरंजन, भरतनाट्यम नृत्यांगना व कोरियोग्राफर, जो अपनी दादी वांडा नोविका की प्रेरणा से विशेष प्रस्तुति देंगी। इनके साथ इमोजीन साल्वा, One Star Away की लेखिका, अलेक्जेंड्रा हर्नान्डेज़, विशेष शिक्षा व ट्रॉमा-इंफॉर्म्ड टीचिंग विशेषज्ञ, तथा एल्सा नुनेज़, दो-भाषी शिक्षा और मल्टीलिंगुअल छात्रों की समर्थक भी पैनल चर्चा का हिस्सा होंगी।
कार्यक्रम मंगलवार, 18 नवंबर 2025 को शाम 6 से 8 बजे तक (प्रवेश 5:30 बजे से) न्यूयॉर्क स्थित पोलैंड के वाणिज्य दूतावास, 233 मैडिसन एवेन्यू (Jan Karski Corner) में आयोजित किया जाएगा।
यह कार्यक्रम इतिहास, कला और मानवीय संवेदनाओं का अनोखा संगम होगा, जिसमें युद्ध से प्रभावित बच्चों के अनुभव, उनकी बहादुरी और उनके सहारे खड़े रहे देशों की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
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