थैंक्सगिविंग इवेंट / image provided
अमेरिका के टेक्सास राज्य के फोर्ट बेंड काउंटी में लोगों ने क्राइस्ट चर्च, शुगर लैंड में हर साल होने वाले फोर्ट बेंड इंटरफेथ काउंसिल (FBIC) के थैंक्सगिविंग कार्यक्रम में हिस्सा लिया। यह कार्यक्रम सभी धर्मों और समुदायों के लिए खुला था। इस बार की थीम थी — “Giving Thanks as One” यानी “एक होकर धन्यवाद देना” — जो फोर्ट बेंड की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता को बहुत अच्छी तरह दर्शाती है।
कई धर्मों की मौजूदगी
कार्यक्रम में बहाई, बौद्ध, ईसाई, हिंदू, जैन, यहूदी, मुस्लिम, सिख और अन्य समुदायों के प्रतिनिधि पहुंचे। काउंसिल के चेयर पादरी जॉन स्ट्रेडर ने कहा कि यह शाम बहस या धर्मों को मिलाने के लिए नहीं, बल्कि हर परंपरा को सम्मान के साथ अपनी आवाज रखने के लिए थी।
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जैन समुदाय का संदेश
जैन विश्व भारती इंस्टिट्यूट की समनिजी ने कहा, “बुद्धि मानचित्र जैसी होती है और ज्ञान कम्पास जैसा। रास्ते कई हो सकते हैं, लेकिन सही दिशा सबसे ज़रूरी होती है। थैंक्सगिविंग हमें उन बातों पर ध्यान दिलाता है जो सच में मायने रखती हैं।”
हिंदू समुदाय का सुंदर प्रस्तुतीकरण
हिंदू समुदाय ने गोवर्धन लीला की जीवंत प्रस्तुति दी। यह स्किट गीता रवुला द्वारा आयोजित की गई, जो ‘आशीर्वाद – ए ब्लेसिंग टेंपल’ की संस्थापक और फोर्ट बेंड इंटरफेथ काउंसिल की छह साल की बोर्ड मेंबर हैं। रंग-बिरंगे पारंपरिक कपड़ों में बच्चों ने कहानी को बेहद खूबसूरती से पेश किया। कहानी के ज़रिए बताया गया कि कैसे भगवान कृष्ण ने गांववालों को इंद्र के तूफान से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर सात दिनों तक उठाए रखा।
कार्यक्रम की झलकियां। / image providedसिख समुदाय का ‘शुक्राना’
सिख समुदाय ने हारमोनियम और तबले पर एक भजन प्रस्तुत किया, जिसमें बार-बार “शुक्राना” शब्द गूंजता रहा। भजन के अर्थ बताते हुए बिंदु मल्होत्रा ने कहा कि सिख परंपरा में सुबह से रात तक, हर सांस, हर व्यक्ति और हर सुख के लिए धन्यवाद देने की भावना को महत्व दिया जाता है।
बहाई समुदाय का योगदान
फोर्ट बेंड की बहाई समुदाय के सदस्यों — जेनिफर साइलर-हंट, ब्रेडन हंट और स्टीव फौलर — ने ‘सच्चाई’ पर आधारित एक गीत पेश किया। बहाई धर्म मानव एकता और सभी धर्मों की समान मूल भावनाओं पर जोर देता है।
सभी समुदायों का साझा उत्सव
कार्यक्रम के अंत में सभी ने मिलकर एक इंटरफेथ कोयर बनाया, जिसमें अलग-अलग धार्मिक समुदायों के गायक शामिल थे। उन्होंने एक साझा “थैंक्सगिविंग गीत” गाकर शाम को खास बना दिया। इसके बाद एक दोस्ताना रिसेप्शन भी हुआ, जिसमें समोसे, स्टफ्ड ग्रेप लीव्स, केक, कुकीज़ और अन्य व्यंजन परोसे गए, जो विविधता और आपसी सौहार्द का प्रतीक थे।
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