ग्लोबल ऑर्गनाइजेशन ऑफ पीपल ऑफ़ इंडियन ओरिज़िन (GOPIO) ने व्हाइट हाउस को पत्र लिखकर नई H1-B वीज़ा फीस में बढ़ोतरी को कम करने या रद्द करने का अनुरोध किया है। संगठन का कहना है कि यह अमेरिका की दीर्घकालीन आर्थिक मजबूती और वैश्विक नेतृत्व के लिए जरूरी है। पत्र GOPIO के इंटरनेशनल चेयरमैन डॉ. थॉमस अब्राहम और अध्यक्ष प्रकाश शाह ने संयुक्त रूप से भेजा।
H1-B वीजा क्यों है अहम?
GOPIO ने अपने पत्र में बताया कि H1-B वीज़ा कार्यक्रम अमेरिकी अर्थव्यवस्था और नवाचार का बड़ा हिस्सा है। इस वीजा के जरिए पेशेवरों के योगदान के लिए कई चीजें अहम बताई गई हैं।
कंपटीशन को बढ़ावा
H1-B वर्कर्स तकनीकी, बायोटेक और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में काम करते हैं। इनकी विशेषज्ञता अमेरिका की कंपनियों को वैश्विक स्तर पर आगे रखने में मदद करती है और नए पेटेंट व टेक्नोलॉजी को जन्म देती है।
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लेबर मार्केट को सपोर्ट
ये पेशेवर अमेरिकी कर्मचारियों का काम छीनते नहीं, बल्कि विशेष क्षेत्रों में भरती करके रोजगार के नए अवसर पैदा करते हैं।
उद्योगों को मज़बूत करना
टेक कंपनियों जैसे गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, हॉस्पिटल्स और यूनिवर्सिटी इन पेशेवरों पर निर्भर हैं। इनकी वजह से अमेरिका विज्ञान और तकनीक में दुनिया में आगे है। कई H1-B वर्कर्स आगे चलकर अपनी कंपनियां खोलते हैं, जो हजारों अमेरिकियों को रोजगार देती हैं। उदाहरण: गूगल, टेस्ला और इंटेल।
अर्थव्यवस्था को बढ़ाना
ये वीज़ा होल्डर्स टैक्स देते हैं और अपनी खर्च से लोकल इकोनॉमी को सपोर्ट करते हैं।
भविष्य की वर्कफोर्स मजबूत करना
अमेरिका की उम्रदराज़ आबादी के बीच, ये पेशेवर जरूरी स्किल और वैश्विक संबंध लेकर आते हैं।
अपील
GOPIO के अध्यक्ष शाह ने कहा, अमेरिका ने हमेशा दुनिया के बेहतरीन टैलेंट को आकर्षित करके तरक्की की है। अगर H1-B एप्लिकेशन फीस बहुत ज्यादा बढ़ाई गई तो यह अमेरिका की प्रतिस्पर्धात्मक ताकत और नवाचार की क्षमताओं को कमजोर करेगा।
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