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अमेरिका में हिंदूफोबिया, धर्मगुरुओं ने मीडिया की हिंदू-विरोधी रिपोर्टिंग पर उठाए सवाल

हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, यहूदी और सिख धर्मगुरुओं के एक समूह ने मीडिया से हिंदुओं के खिलाफ पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग से बचने का आग्रह किया है। उन्होंने हाल ही में कुछ धार्मिक संगठनों के बारे में की गई गलत रिपोर्टिंग पर गंभीर आपत्ति जताई है।

प्रतीकात्मक तस्वीर / Pexels

अमेरिका और दुनिया भर के हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, यहूदी और सिख समुदायों के धर्मगुरुओं के एक ग्रुप ने मीडिया को खत लिखकर हिंदुओं के बारे में गलत, पूर्वाग्रह और पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग से बचने और संतुलित रिपोर्टिंग अपनाने का आग्रह किया गया है। इस खत में मीडिया में हिंदुओं की हालिया पक्षपाती चित्रण की निंदा की गई है। इसके साथ ही आगाह किया गया है कि आध्यात्मिक संगठनों और लोगों को गलत तरीके से पेश करने वाली खबरों से बचा जाए। 

लेटर में कहा गया है, 'मीडिया ने हाल ही में ऐसी खबरें छापी हैं जिनमें न सिर्फ हिंदू विरोधी भावनाएं आहत की गई हैं, बल्कि कई धर्मों के लोगों और संगठनों के बारे में भी पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग की गई है।' ये धर्मगुरु खास तौर पर साइंस ऑफ आइडेंटिटी फाउंडेशन (SIF) नाम के एक आध्यात्मिक संगठन की खबरों को लेकर चिंतित हैं। यह संगठन हिंदू गौड़ीय वैष्णव परंपरा से जुड़ा है। इन धर्मगुरुओं का कहना है कि SIF को गलत तरीके से पेश करके हिंदू रीति-रिवाजों के प्रति डर और दुश्मनी फैलाई जा रही है। 

इस लेटर पर कई बड़े धर्मगुरुओं ने भी हस्ताक्षर किए हैं, इनमें शामिल हैं:

  • सुखी चाहल (द खालसा टुडे), सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हुए।
  • हकीम औंसाफी (मुस्लिम एसोसिएशन)
  • बिशप मेस्रोप पर्साम्यान (ईस्टर्न डायोसीज ऑफ द आर्मेनियन चर्च ऑफ अमेरिका), पूर्वी ऑर्थोडॉक्स ईसाइयों का प्रतिनिधित्व करते हुए।
  • आर्चबिशप टिमोथी ब्रोग्लियो (आर्चडायोसीज फॉर द मिलिट्री सर्विसेज), कैथोलिक समुदाय में एक प्रमुख हस्ती।
  • डॉ. जेफरी डी. लॉन्ग (एलिजाबेथटाउन कॉलेज), एक सम्मानित हिंदू विद्वान।
  • डॉ. रिचर्ड बेनकिन (इंटरफेथ स्ट्रेंथ), यहूदी धर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए।

इन धर्मगुरुओं ने जोर देकर कहा कि 'हमारे लोकतंत्र की ताकत हमारी विविधता को अपनाने में है, न कि उसका इस्तेमाल फूट डालने के लिए करने में।'

साइंस ऑफ आइडेंटिटी फाउंडेशन की अध्यक्ष जेनी बिशप ने कहा, 'हिंदू विरोधी भावनाओं के खिलाफ आवाज उठाने वालों की बढ़ती संख्या बहुत उत्साहजनक है।'

उन्होंने आगे कहा, 'विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं के लोगों के इस एकजुट समूह का यह कड़ा रुख एकता की ताकत को दिखाता है। अगर इस तरह के हमले एक आध्यात्मिक मार्ग पर हो सकते हैं, तो यह किसी पर भी हो सकते हैं। धार्मिक पक्षपात और कट्टरता की समावेशिता और आपसी सम्मान की चाह रखने वाले हमारे समाज में कोई जगह नहीं है।'

इन धर्मगुरुओं ने ईमानदार रिपोर्टिंग की जरूरत पर जोर दिया और मीडिया से सच्चाई, निष्पक्षता और ईमानदारी बनाए रखने का आग्रह किया। लेटर में लिखा है, 'पत्रकारिता को अपना काम करने के लिए उसे सच्चाई, निष्पक्षता और ईमानदारी के उच्चतम मानकों को बनाए रखना होगा, जिससे विभिन्न समुदायों के बीच विश्वास और एकता बढ़े।'

तथ्य-आधारित रिपोर्टिंग को बढ़ावा देकर, यह समूह विभाजनकारी स्टोरी को चुनौती देने और समावेशिता और समानता के मूल्यों को मजबूत करने की उम्मीद करता है। साइंस ऑफ आइडेंटिटी फाउंडेशन ने इस व्यापक समर्थन का स्वागत किया और सार्वजनिक बहस में निष्पक्षता और आपसी सम्मान की अपील की।

 

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