अमेरिका के टेक्सास राज्य में डलास काउंटी कमिश्नरों एल्बा गार्सिया और एंड्रयू सोमरमैन ने 21 अक्टूबर की सुबह दिवाली के उत्सव को सामुदायिक सशक्तिकरण, सार्वजनिक सेवा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से मनाने के लिए एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव का उद्देश्य डलास में रहने वाले विभिन्न समुदायों के बीच एकता, समझ और सौहार्द को बढ़ावा देना है।
इस अवसर पर आयोजित समारोह में करीब 80 भारतीय और हिंदू मूल के लोग शामिल हुए। इनमें साउथ एशियन अमेरिकन वोटर एम्पावरमेंट टेक्सास एजुकेशन फंड (SAAVETXEF) और स्वामीनारायण मंदिर BAPS इरविंग जैसी संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे। कमिश्नर एल्बा गार्सिया ने समारोह में कहा, दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, रोशनी का त्योहार है जो अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। यह पांच दिनों तक मनाया जाने वाला पर्व है, जो इस वर्ष 25 अक्टूबर के सप्ताह में मनाया जा रहा है।
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उन्होंने भगवान राम की 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापसी की कथा सुनाई और बताया कि दिवाली हिंदुओं के लिए नए साल की शुरुआत का प्रतीक भी है। गार्सिया ने कहा, लोग अपने घरों को दीयों और रंगोली से सजाते हैं और धन-समृद्धि के लिए माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं। गार्सिया ने आगे बताया कि नेपाल में दिवाली को तिहार के नाम से मनाया जाता है, जहां लोग कौवे, कुत्ते और गायों की पूजा करते हैं और पारंपरिक नृत्य करते हुए त्योहार का समापन भाई-बहन के टीका समारोह के साथ करते हैं। वहीं, सिख समुदाय इस दिन को उस अवसर के रूप में मनाता है जब मुगल शासक ने गुरु हरगोविंद सिंह को कैद से रिहा किया था।
इसके बाद कमिश्नर एंड्रयू सोमरमैन ने बताया कि जैन समुदाय दिवाली को महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के रूप में मनाता है। इस दिन वे उपवास रखते हैं, भजन गाते हैं और मंत्रोच्चार करते हैं। कुछ बौद्ध समुदायों के लिए यह दिन राजा अशोक के बौद्ध धर्म अपनाने का प्रतीक है, जिसे वे मंदिरों को दीयों से सजाकर और बुद्ध की पूजा कर मनाते हैं। सोमरमैन ने कहा, दुनियाभर में एक अरब से अधिक लोग दिवाली मनाते हैं। डलास काउंटी में भी यह पर्व दक्षिण एशियाई समुदायों द्वारा बड़े उत्साह से मनाया जाता है, जिनमें SAAVE, BAPS श्री स्वामीनारायण मंदिर और राधा-कलाचंदजी मंदिर जैसी संस्थाएं शामिल हैं।
समारोह के अंत में साउथ एशियन अमेरिकन वोटर एम्पावरमेंट (SAAVE) की संस्थापक चंदा परभू ने कहा कि वह डलास काउंटी प्रशासन की आभारी हैं जिसने दक्षिण एशियाई समुदाय को यह मान्यता दी। उन्होंने बताया कि जब मैं 48 साल पहले यहां आई थी, तब दिवाली चुपचाप घरों के अंदर मनाई जाती थी। आज वही दिवाली पूरे टेक्सास में जगमगाते स्थलों पर मनाई जा रही है। उन्होंने गर्व से कहा कि अब टेक्सास अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा दक्षिण एशियाई जनसंख्या वाला राज्य बन गया है, और दिवाली यहां एकता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बन चुकी है।
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