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SB-509 बिल को लेकर हिंदुओं में डर क्यों, अमेरिकन्स फॉर हिंदूज ने बताया

A4H की मांग है कि ऐसे किसी भी कानून को पास करने से पहले विभिन्न समुदायों से बातचीत की जाए और उनका विश्वास जीता जाए।  

अमेरिकन्स फॉर हिंदूज ने एसबी 509 बिल को लेकर कई चिंताएं जताई हैं। / Facebook : americans4hindus

अमेरिकन्स फॉर हिंदूज (A4H) ने कैलिफोर्निया सीनेट की गवर्नमेंटल ऑर्गनाइजेशन कमिटी द्वारा एसबी 509 बिल पर किए गए मतदान पर गहरी निराशा जताई है।  सीनेटर अन्ना कैबलेरो द्वारा पेश इस बिल का उद्देश्य विदेशी सरकारों द्वारा प्रवासियों पर दबाव के खिलाफ कानून प्रवर्तन एजेंसियों को ट्रेनिंग देना है।  

A4H का कहना है कि यह बिल स्पष्ट नहीं है और इसकी वजह से भारतीय व हिंदू समुदाय सहित अन्य अल्पसंख्यकों में डर का माहौल बन सकता है। संगठन का मानना है कि इस बिल में यह साफ नहीं है कि विदेशी एजेंट्स, संगठनों या लोगों की पहचान कैसे की जाएगी। ऐसे में इसकी आड़ में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा सकता है।  

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अमेरिकन्स फॉर हिंदूज ने बिल को लेकर कई चिंताएं जताई हैं। कहा है कि बिल में ट्रांसनेशनल रिप्रेशन की स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई है,जिससे अल्पसंख्यकों को गलत तरीके से टारगेट किया जा सकता है।  

A4H का यह भी कहना है कि ऐसे मामलों के लिए पहले से ही फॉरेन एजेंट्स रजिस्ट्रेशन एक्ट (FARA) मौजूद है। नए बिल से टैक्सपेयर्स के रकम की बर्बादी ही होगी।  इसके अलावा इस बिल से समुदाय में डर बढ़ सकता है जो कैलिफोर्निया में हिंदुओं के खिलाफ नफरत में बढ़ोतरी से परेशान हैं। 

A4H ने मांग की है कि पुलिस को हिंदू संस्कृति और परंपराओं के बारे में भी ट्रेनिंग दी जानी चाहि ताकि धार्मिक पूर्वाग्रह की आशंका कम हो।  

A4H की वाइस प्रेसिडेंट (कम्युनिकेशन) गीता सिकंद ने बिल पर चर्चा के दौरान गवाही में कहा कि 1984 में मेरे चाचा की हत्या उन्हीं समर्थकों ने की थी जो इस बिल की विचारधारा को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी ट्रेनिंग से अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा सकता है।  

एसबी 509 बिल में कैलिफोर्निया के स्पेशलाइज्ड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट को 1 जुलाई 2026 तक पुलिस के लिए एक ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार करने का प्रावधान है। इसमें स्पाईवेयर हमले, ऑनलाइन धमकियां और परिवार वालों पर दबाव जैसी गतिविधियों को पहचानने की ट्रेनिंग शामिल होगी।  

A4H की मांग है कि ऐसे किसी भी कानून को पास करने से पहले विभिन्न समुदायों से बातचीत की जाए और उनका विश्वास जीता जाए।  
 

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