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अडानी ग्रुप में निवेश करने वाले मॉरीशस के दो फंड मुश्किल में, SEBI ने भेजा नोटिस

सेबी का यह एक्शन हिंडनबर्ग रिसर्च की 2023 की उस रिपोर्ट के बाद चल रही जांच का हिस्सा है।

अडानी ग्रुप / Reuters

भारत की बाजार नियामक संस्था सेबी (SEBI) ने अडानी समूह में निवेश करने वाले मॉरीशस स्थित दो फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPI) को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने अपनी शेयरहोल्डिंग से जुड़ी जानकारी नहीं दी, तो उनके लाइसेंस रद्द किए जा सकते हैं और उन पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यह जानकारी एक SEBI दस्तावेज़ से सामने आई है, जिसे रॉयटर्स ने रिव्यू किया है।

सेबी का यह एक्शन हिंडनबर्ग रिसर्च की 2023 की उस रिपोर्ट के बाद चल रही जांच का हिस्सा है, जिसमें अडानी समूह पर टैक्स हेवन का दुरुपयोग करने और शेयर बाजार नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था। हालांकि, अडानी समूह ने सभी आरोपों को खारिज किया है और उसके शेयर भी काफी हद तक रिकवर कर चुके हैं।

किन फंड्स पर है आरोप?
जिन दो मॉरीशस स्थित फंड्स पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है, उनके नाम हैं- Elara India Opportunities Fund और Vespera Fund। SEBI के अनुसार, इन दोनों फंड्स ने अडानी समूह की कंपनियों में “केंद्रित निवेश” किया है और उन्हें 2023 से बार-बार सभी शेयरधारकों की विस्तृत जानकारी देने को कहा गया था, लेकिन अब तक उन्होंने न तो डेटा दिया है और न ही कोई ठोस कारण।

यह भी पढ़ें- Investment: भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में किया $10 मिलियन निवेश का ऐलान

SEBI के नियम क्या कहते हैं?

भारतीय नियमों के अनुसार, किसी लिस्टेड कंपनी में कम से कम 25% हिस्सेदारी पब्लिक शेयरधारकों के पास होनी चाहिए। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि अडानी समूह से जुड़े कुछ ऑफशोर फंड्स इस नियम का उल्लंघन कर रहे हैं। सेबी के दस्तावेज़ में यह भी कहा गया है कि Elara फंड्स ने जब अडानी के शेयरों में 5% से ज्यादा हिस्सेदारी हासिल की, तब भी वे नियमानुसार खुलासा करने में असफल रहे।

फंड्स ने सेबी से सेटलमेंट की कोशिश की
रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों फंड्स ने बिना किसी दोष को स्वीकार किए मौद्रिक दंड देकर मामला निपटाने की पेशकश की है। हालांकि, अंतिम निर्णय और संभावित दंड की प्रकृति अब तक स्पष्ट नहीं है। इसके अलावा, Lotus Investment और LTS Investment जैसे अन्य मॉरीशस स्थित निवेशकों ने भी SEBI के सवालों का जवाब नहीं दिया। उनके वकील पी.आर. रमेश ने भी टिप्पणी से इनकार किया।

गौरतलब है कि नवंबर 2024 में अमेरिकी अधिकारियों ने गौतम अडानी समेत कई अधिकारियों पर भारत में बिजली परियोजनाओं के ठेके पाने के लिए रिश्वत देने और अमेरिकी निवेशकों को गुमराह करने का आरोप लगाया था। अडानी समूह ने इन्हें बेबुनियाद बताते हुए खारिज कर दिया है।

 

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