भारत कपास के उत्पादन में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है। लेकिन रिपोर्ट्स और पिछले वर्ष के आंकड़ों की बात करें भारत के कपास के निर्यात की रफ्तार धीमी हो गई है। यूएस उच्च दरों के बीच कपास की खरीद में तेजी आने की संभावना कम ही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक,भारत में सस्ते आयात और कपड़ा निर्यात पर भारी अमेरिकी टैरिफ के बाद कमजोर मांग के कारण घरेलू कीमतों पर दबाव है। ऐसे में भारत अपने यहां इस कृषि उत्पाद के उत्पाद के रिकॉर्ड सरकारी खरीद पर फोकस कर सकता है।
निर्यातकों ने अमेरिका से भारत को कपास की खरीद के लिए मिलने वाले भारी गिरावट का अनुमान लगाया है।
बता दें कि भारत को कपड़ा निर्यात के लिए यूएस से मिलने वाले ऑर्डर में कमी आई है। दावा किया जा रहा है कि अगर अमेरिका से निर्यात ऑर्डर नहीं मिलते तो 38 अरब डॉलर के वार्षिक कपड़ा निर्यात में 29 प्रतिशत की कमी हो जाएगी।
ऐसे में आगामी सीजन में किसानों से रिकॉर्ड मात्रा में कपास खरीदेगा। रॉयटर्स ने एक रिपोर्ट में कपड़ा निर्यात से जुड़े अधिकारियों के हवाले से कहा कि भारत में सस्ते आयात और कपड़ा निर्यात पर भारी अमेरिकी टैरिफ के बाद कमजोर मांग के कारण घरेलू कीमतों पर दबाव है। ऐसे में यहाां सरकार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने का वादा पूरा करने के लिए रिकॉर्ड स्तर पर कपास की खरीद कर सकती है।
भारतीय कपास संघ के अध्यक्ष अतुल गणात्रा ने रॉयटर्स को बताया, "कपास की मांग धीमी हो होने से उद्योग को नुकसान हो रहा है। बाजार में, किसानों को उनके कपास के लिए वादा किया गया समर्थन मूल्य मिलने की संभावना नहीं है। इसमें सरकार को हस्तक्षेप करना होगा और रिकॉर्ड मात्रा में लगभग 1.4 करोड़ गांठें कपास खरीदना होगा।"
पिछले वर्ष के आंकड़ों की बात करें तो भारत ने घरेलू किसानों से नए सीजन के कपास की खरीद की कीमत 7.8% बढ़ाकर 8,110 रुपये प्रति 100 किलोग्राम कर दी है, लेकिन स्थानीय बाजार में कीमतें 7,000 रुपये के आसपास हैं।
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पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र के जलगांव स्थित जिनर प्रदीप जैन ने कहा कि नए सीज़न की फसल की बढ़ती आपूर्ति और सस्ते आयातित कपास की आवक के कारण अगले महीने से कीमतों पर दबाव पड़ने की उम्मीद है। जब भी कीमतें सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मूल्य से नीचे गिरती हैं, किसान अपनी फसल भारतीय कपास निगम (CCI) को बेच देते हैं।
इस महीने समाप्त होने वाले 2024/25 के विपणन वर्ष में, भारतीय कपास निगम (CCI) ने किसानों से 1 करोड़ गांठ कपास खरीदने के लिए रिकॉर्ड 374.36 अरब रुपये खर्च किए।
बता दें कि जब भी कीमतें सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मूल्य से नीचे गिरती हैं, किसान आमतौर पर अपनी फसल सरकारी स्वामित्व वाली भारतीय कपास निगम (CCI) को बेच देते हैं। बता दें कि 2 करोड़ से ज्यादा गांठें खरीदने की क्षमता है। CCI नए सीज़न में खरीद केंद्रों की संख्या 10% बढ़ाने की योजना बना रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत भारत में कुल 550 कपास क्रय केंद्र हो जाएंगे।
CCI के प्रबंध निदेशक ललित कुमार गुप्ता ने रॉयटर्स को बताया, "नए सीजन में किसानों से कपास खरीदने की कोई सीमा या लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया है। किसानों द्वारा CCI तक पहुंची सभी किसानों की कपास की खरीद की जाएगी।"
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