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सांकेतिक तस्वीर / Canva
भारत का आयात बिल अक्टूबर 2025 में तेजी से बढ़ा है और इसकी सबसे बड़ी वजह सोने का रिकॉर्ड स्तर पर आयात है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में भारत ने 14.7 बिलियन डॉलर यानी (1.30 लाख करोड़) का सोना आयात किया है। यह पिछले साल के 4.92 बिलियन डॉलर की तुलना में 199% की उछाल है।
अप्रैल-अक्टूबर 2025 की अवधि में भी सोने का आयात 21% बढ़कर 41.24 बिलियन डॉलर (3.60 लाख करोड़) पर पहुंच गया। त्योहारों और शादियों के मौसम में सोने की मांग पहले भी बढ़ती रही है लेकिन इस बार की छलांग मौसमी रुझानों से भी कहीं ज्यादा रही।
अधिकारियों और ट्रेडर्स का कहना है कि मजबूत त्योहारों की मांग, वैश्विक कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका, ज्वैलर्स का स्टॉक बढ़ाना और कमजोर रुपये ने आयात को अचानक बढ़ा दिया है। वैश्विक बाजार में भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के चलते सुरक्षित निवेश की ओर रुझान भी तेज हुआ है।
हालांकि इतनी बड़ी बढ़ोतरी ने सरकार के भीतर चिंता बढ़ा दी है खासकर इसलिए क्योंकि यह उस समय हुआ जब भारत के निर्यात कमजोर हुए। अक्टूबर में भारत का माल निर्यात 11.8% घटकर 34.38 बिलियन डॉलर पर आ गया। इंजीनियरिंग गुड्स, पेट्रोलियम, दवाइयां, टेक्सटाइल सबमें गिरावट आई है जबकि जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट 29.5% गिरकर 2.29 बिलियन डॉलर पर सिमट गया है।
कुल आयात अक्टूबर में 16.6% बढ़कर 76.06 बिलियन डॉलर पर पहुंचा, जिसमें सिर्फ सोना महीने की पूरी आयात बिल का लगभग 20% हिस्सा रहा। इतना ही नहीं चांदी का आयात 529% उछलकर 2.72 बिलियन डॉलर हो गया जो संकेत देता है कि पूरे प्रीसियस मेटल वैल्यू-चेन में स्टॉकिंग तेज है।
अप्रैल-अक्टूबर तक भारत का कुल आयात 6.4% बढ़कर 451.08 बिलियन डॉलर हो चुका है। उर्वरक, नॉन-फेरस मेटल, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और बुलियन जैसी श्रेणियों ने इस बढ़ोतरी में सबसे बड़ा योगदान दिया। दूसरी तरफ राहत की उम्मीद वाले क्रूड ऑयल आयात में 21% की गिरावट जरूर आई, लेकिन सोना-चांदी के भारी आयात ने इसे पूरी तरह बेअसर कर दिया।
ट्रेड इकॉनॉमिस्ट चेतावनी दे रहे हैं कि ऐसे समय में जब निर्यात का मोमेंटम धीमा पड़ रहा है, सोने का इतना तेज प्रवाह करंट अकाउंट डेफिसिट पर दबाव बढ़ा सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक भी सोने के अचानक बढ़ते आयात को एक ‘मैक्रो रिस्क’ मानता है, क्योंकि इससे भारत की बाहरी वित्तीय स्थिति अस्थिर हो सकती है।
हालांकि नवंबर-दिसंबर में त्योहार और शादी का सीजन धीमा पड़ जाएगा, लेकिन ट्रेडर्स कहते हैं कि वैश्विक अनिश्चितता और ब्याज दरों में नरमी की उम्मीदों के चलते निवेश के रूप में सोने की मांग बनी रहने की संभावना है। फिलहाल सोने ने एक बार फिर अपनी पुरानी भूमिका निभाई है। सोना भारत में एक सांस्कृतिक प्रतीक है जो समय-समय पर भारत की अर्थव्यवस्था के लिए सिरदर्द बन जाता है। अक्टूबर के आंकड़ों ने इस तनाव को दोबारा भारत की ट्रेड कहानी के केंद्र में ला दिया है।
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