अमेजन / REUTERS/Francis Mascarenhas
ई-कॉमर्स दिग्गज अमेज़न ने घोषणा की कि उसके प्लेटफॉर्म के जरिए भारतीय विक्रेताओं ने अब तक 20 अरब डॉलर (करीब ₹1.67 लाख करोड़) से अधिक का निर्यात किया है। इसमें से करीब 7 अरब डॉलर का निर्यात केवल इस साल हुआ है। कंपनी ने अब 2030 तक 80 अरब डॉलर के निर्यात का नया लक्ष्य तय किया है।
यह उपलब्धि ऐसे समय में आई है जब अमेरिका ने 27 अगस्त से भारत से आने वाले कुछ सामानों पर आयात शुल्क दोगुना करके 50% कर दिया था। यह कदम अमेरिका ने भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने के जवाब में उठाया था। इससे हजारों भारतीय कारीगरों और छोटे व्यापारियों पर असर पड़ा, जिनके उत्पादों खासकर टेक्सटाइल, झींगे, रत्न और आभूषण की अमेरिकी बिक्री घट गई। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, सितंबर में भारत का अमेरिका को निर्यात घटकर 5.43 अरब डॉलर रह गया, जो अगस्त में 6.87 अरब डॉलर था।
फिर भी, अमेज़न के अधिकारियों का कहना है कि समग्र निर्यात पर इसका सीमित प्रभाव पड़ा है। अमेज़न ग्लोबल सेलिंग इंडिया के प्रमुख श्रीनिधि कलवापुड़ी ने कहा, 'हम उन चीजों पर ध्यान देते हैं जिन्हें हम नियंत्रित कर सकते हैं, न कि अल्पकालिक व्यापारिक उतार-चढ़ाव पर। हमारी कहानी संरचनात्मक है, न कि चक्रीय और ई-कॉमर्स निर्यात के लिए अभी भी यह ‘पहला दिन’ है।'
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अमेज़न का ग्लोबल सेलिंग प्रोग्राम 2015 में शुरू हुआ था, जो भारतीय छोटे और मझोले उद्यमों को 18 देशों जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, कनाडा और यूएई में अपने उत्पाद बेचने की सुविधा देता है। कलवापुड़ी ने बताया कि अमेरिका भारतीय विक्रेताओं का सबसे बड़ा बाजार बना हुआ है, जिसके बाद ब्रिटेन, जर्मनी और कनाडा का स्थान है।
अमेज़न के मुताबिक, प्लेटफॉर्म पर अब करीब 2 लाख भारतीय निर्यातक सक्रिय हैं, जो पिछले साल की तुलना में 33% की वृद्धि दर्शाता है। ये विक्रेता देश के 28 राज्यों और 7 केंद्रशासित प्रदेशों से हैं—जिनमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात और हरियाणा प्रमुख हैं।
दिलचस्प बात यह है कि अमेज़न का 20 अरब डॉलर का यह निर्यात लक्ष्य 2025 की तय समयसीमा से पहले ही पूरा हो गया, और इसमें बड़ा योगदान छोटे शहरों—जैसे पानीपत, भदोही, करूर और इरोड—का रहा। कलवापुड़ी ने कहा, 'अब निर्यात केवल महानगरों तक सीमित नहीं है, छोटे शहर वैश्विक बाजार में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।'
स्वास्थ्य, ब्यूटी, गृह उपयोगी वस्तुएं, परिधान और खिलौनों जैसी कैटेगरी में हर साल 35% से अधिक की वृद्धि दर्ज की जा रही है। सिर्फ 2024 में पानीपत और करूर से 160 मिलियन डॉलर का निर्यात हुआ, जो छोटे विनिर्माण केंद्रों की उभरती ताकत को दिखाता है।
भारत की 2023 की नई व्यापार नीति और आरबीआई द्वारा ई-कॉमर्स निर्यात नियमों में सरलीकरण ने भी इस वृद्धि को बल दिया है। कलवापुड़ी ने कहा कि 'इन सुधारों का प्रभाव आने वाले वर्षों में और बढ़ेगा, क्योंकि भारतीय ब्रांड वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहे हैं।'
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