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अमेरिकी कांग्रेस में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का मुद्दा गरमाया

भारतीय-अमेरिकी सांसदों ने पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों पर गहरी चिंता व्यक्त की।

भारतीय-अमेरिकी सांसद / Courtesy Photo

पाकिस्तान में हिंदू, सिख और ईसाई महिलाओं के कथित अपहरण और जबरन धर्मांतरण के मुद्दे पर 12 मार्च को अमेरिकी कांग्रेस में एक विशेष ब्रीफिंग आयोजित की गई। इस आयोजन का नेतृत्व हिंदूएक्शन ने किया, जिसमें अमेरिकी सांसदों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और मीडिया विशेषज्ञों ने भाग लिया। कार्यक्रम में सांसद श्री थानेदार, सुहास सुब्रमण्यम और राजा कृष्णमूर्ति ने पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों पर गहरी चिंता व्यक्त की।

सांसद श्री थानेदार ने कहा, "अमेरिका को पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव बनाना चाहिए ताकि जबरन धर्मांतरण और अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को रोका जा सके।" उन्होंने पाकिस्तान को दी जाने वाली अमेरिकी आर्थिक सहायता को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा से जोड़ने की भी मांग की। सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने के लिए आयोजकों की सराहना की और कहा कि "वह दुनिया भर में सताए जा रहे समुदायों की आवाज उठाते रहेंगे।"

कार्यक्रम की मेजबानी हिंदूएक्शन की बोर्ड सदस्य अंजली स्वामी ने की। उन्होंने पाकिस्तानी हिंदुओं की दयनीय स्थिति को साझा करते हुए इस विषय पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता बढ़ाने की अपील की।

यह भी पढ़ेंः USISPF प्रमुख मुकेश अघी और सांसदों के बीच अमेरिका-भारत संबंधों पर चर्चा

दानिश कनेरिया का बड़ा बयान
पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर दानिश कनेरिया ने कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए कहा, "मैं पाकिस्तान से शरणार्थी के रूप में आया हूं। मैं हिंदू हूं और पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों की आवाज बनना चाहता हूं। वहां हिंदू, सिख और ईसाइयों को तीसरे दर्जे का नागरिक माना जाता है और वे राज्य-प्रायोजित उत्पीड़न का शिकार होते हैं।"

विशेषज्ञों ने उठाए सवाल
पत्रकार असरा क़मर नूमानी ने कहा, "पाकिस्तान कट्टरपंथ और सांप्रदायिक नफरत से भरा देश है, जहां हिंदू, ईसाई, सिख, अहमदिया और शिया समुदायों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है।" मीडिया विश्लेषक गीता सिकंद ने आरोप लगाया कि "वैश्विक मीडिया धार्मिक उत्पीड़न पर चुप्पी साधे बैठा है।" Cares-Global की कार्यकारी निदेशक ऋचा गौतम ने कहा, "अमेरिका को पाकिस्तान में हो रहे हिंदू, ईसाई और सिख लड़कियों के जबरन धर्मांतरण और उत्पीड़न की कड़ी निंदा करनी चाहिए।"

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