भारत में चैटजीपीटी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। कई भारतीय बुक पब्लिशर्स और उनके अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों ने नई दिल्ली में चैटजीपीटी की मूल कंपनी ओपनएआई पर कॉपीराइट कानून का उल्लंघन करते हुए अदालत में नया मुकदमा दायर किया है।
पूरी दुनिया में चैटजीपीटी जैसी एआई सेवाओं और चैटबॉट्स को ट्रेनर्स के खिलाफ लेखकों, संगीतकारों और समाचार कंपनियों की तरफ से केस दायर किए जा रहे हैं। इनका आरोप है कि उनके कॉपीराइट कंटेंट का बिना उनकी इजाजत के एआई मॉडल्स को ट्रेन करने में इस्तेमाल किया जा रहा है।
ओपनएआई के खिलाफ यह नया केस नई दिल्ली में फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स के मेंबर्स - ब्लूम्सबरी, पेंगुइन रैंडम हाउस, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस, पैन मैकमिलन, रूपा पब्लिकेशन और एस चांद एंड कंपनी की तरफ से दिल्ली हाईकोर्ट में दायर किया गया है। हाईकोर्ट में इस तरह का एक मुकदमा पहले ही दाखिल हो चुका है।
फेडरेशन के महासचिव प्रणव गुप्ता ने एक इंटरव्यू में बताया कि हमने अपनी याचिका में मांग की है कि ओपनएआई को हमारे कॉपीराइट कंटेंट का इस्तेमाल करने से रोका जाए। अगर वे (ओपनएआई) हमारे कंटेंट का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो हमसे लाइसेंस लें। वे ऐसा नहीं करते तो उन्हें कंटेंट डिलीट कर देना चाहिए। साथ ही ये भी बताना चाहिए कि वे हमारे नुकसान की भरपाई कैसे करेंगे।
ओपनएआई की तरफ से इस मामले पर अभी कोई टिप्पणी सामने नहीं आई है। वह लगातार इस तरह के आरोपों से इनकार करता रही है। उसका कहना है कि उसके एआई सिस्टम सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डाटा का निष्पक्ष तरीके से इस्तेमाल करते हैं।
भारतीय बुक पब्लिशर इसके अलावा न्यूज एजेंसी एएनआई की तरफ से माइक्रोसॉफ्ट समर्थित ओपनएआई के खिलाफ दायर मुकदमे में पार्टी बनने का भी प्रयास कर रहे हैं, जो कि इस मसले पर देश का सबसे चर्चित केस बन चुका है।
एएनआई के मुकदमे के जवाब में ओपनएआई ने तर्क देते हुए कहा है कि उसके एआई मॉडल की ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल किसी भी डेटा को डिलीट करने का कोई भी आदेश अमेरिकी कानून के खिलाफ होगा।
उसका ये भी कहना है कि भारतीय अदालतों को कंपनी के खिलाफ कॉपीराइट केस पर सुनवाई का अधिकार ही नहीं है क्योंकि कंपनी के सर्वर विदेश में हैं। हालांकि फेडरेशन का कहना है कि ओपनएआई भारत में भी अपनी सेवाएं देता है, ऐसे में उसके ऊपर भारतीय कानून लागू होते हैं।
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