(एएफपी)
टिकटॉक पर कोरियोग्राफर साहिल कुमार के लोकनृत्यों के वीडियो ने उन्हें मशहूर बना दिया था। उनके 1.5 मिलियन फॉलोअर्स थे। लेकिन चार साल पहले टिकटॉक पर बैन के भारत के फैसले का समर्थन करना उन्हें भारी पड़ गया। तब से उनका प्रोफाइल निष्क्रिय पड़ा हुआ है।
दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश इस बात की झलक दिखाता है कि अगर अमेरिका ने चीन के स्वामित्व वाले इस शॉर्ट वीडियो ऐप तक लोकल एक्सेस को रोक दिया, तो वहां पर भी सोशल मीडिया का कैसा हाल हो सकता है।
लद्दाख सीमा पर चीनी और भारतीय सैनिकों में संघर्ष के बाद उभरी राष्ट्रवादी लहर के बीच टिकटॉक पर बैन लग गया। कइयों ने उसकी जगह लेने की कोशिश की, लेकिन पूरी तरह कामयाब नहीं हो सके।
इसका सबसे ज्यादा फायदा यूट्यूब और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म को मिला। कुमार जैसे कई कंटेंट क्रिएटर्स ने अमेरिका के स्वामित्व वाले ऐप पर अपना फोकस किया, लेकिन टिकटॉक जैसी कामयाबी हासिल नहीं कर सके।
कुमार की ही बात करें तो वह भारत की राजधानी नई दिल्ली के नजदीक रोहतक में अपने स्टूडियो से कंटेंट बनाते हैं। लेकिन टिकटॉक पर बैन के चार साल बाद भी उन्हें उस जैसी प्रसिद्धि नहीं मिल पाई है। इंस्टाग्राम पर उनके महज 92 हजार फॉलोअर्स हैं। अब तो उनकी उम्मीद भी टूटने लगी है। उनका कहना है कि अब तो हमारा काम ही ठप हो गया है।
टिकटॉक से पहले कई मशहूर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मौजूद थे, लेकिन इस चाइनीज ऐप ने आते ही सबको पछाड़ दिया था। बैन होने से एक साल पहले टिकटॉक ने खुद बताया था कि भारत में 200 मिलियन यूजर्स हैं। इसका मतलब भारत की आबादी में हर सातवां व्यक्ति उसे यूज करता था। हर इन्फ्लूएंसर, हर पर्सनैलिटी को अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए टिकटॉक का सहारा लेना पड़ता था, भले ही वे उसे पसंद न करते हों।
कई टेक स्टार्ट अप्स ने टिकटॉक के जाने के बाद खाली हुई जगह को भरने के प्रयास किए, लेकिन बाजी बड़े खिलाड़ियों ने मार ली। टिकटॉक के बैन होने के एक साल के अंदर इंस्टाग्राम पर हर रोज भारत से 60 लाख रील वीडियो पोस्ट होने लगे थे। भारतीय वीडियो शेयरिंग प्लैटफॉर्म मोज पपर 25 लाख वीडियो रोजाना पोस्ट होते थे।
मार्केट ट्रैकर स्टेटिस्टा का अनुमान है कि भारत में 362 मिलियन लोग इंस्टाग्राम और 462 मिलियन व्यक्ति यूट्यूब का इस्तेमाल करते हैं। जानकारों का कहना है कि टिकटॉक की विदाई सही मायने में मेटा और गूगल के लिए वरदान साबित हुई है। हालांकि कुछ इन्फ्लूएंसर्स अब तक इसके झटके की चोट से उबर नहीं पाए हैं।
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