एक ऐसे दौर में जहां पूरब से पश्चिम तक युद्ध, टकराव, असंतोष, मानसिक और शारीरिक हानि के साथ ही मानवता के लिए चुनौतियों की भरमार हो... क्या कोई ऐसी राह हो सकती है जो दुनिया को सुख, स्वास्थ्य, समृद्धि और शांति की ओर ले जाए। यकीनन भारत की प्राचीन योग विद्या और इसके अभ्यास में वह शक्ति है जो मानसिक और शारीरिक पीड़ाओं को हर सकती है और शांति का श्रेष्ठ उपाय बन सकती है। योग को दुनिया ने अपनाया भी है और इसके अभ्यास करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसलिए क्योंकि योग यह सिद्ध कर चुका है कि उसमें मानसिक और शारीरिक 'जख्मों' को भरने की ताकत है। इसीलिए इस पृथ्वी के अधिकतर देश योग को अपना रहे हैं, लोग इसके महत्व को समझ रहे हैं और इसके अभ्यास से जुड़ी तरह-तरह की सकारात्मक कहानियां आधुनिक संचार माध्यमों से 'वायरल' हो रही हैं। इस बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) पर एक बार फिर वैश्विक एकता की अनूठी तस्वीर देखने को मिली। अमेरिका से लेकर भारत, जापान से लेकर ग्वाटेमाला और ब्रिटेन-कनाडा से लेकर नेपाल तक पूरब और पश्चिम के अधिकांश देशों में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस उत्साह और मानवीय समृद्धि की कामना के साथ मनाया गया। जहां तक भारत की बात है तो योग संगम एक ऐतिहासिक पहल रही जिसमें पूरे देश में 1,00,000 स्थानों पर सामूहिक योग अभ्यास किया गया। इस बार योग दिवस के अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मानवता की खातिर वैश्विक एकता का आह्वान किया है।
हर साल की भांति अंतरराष्ट्रीय योग दिवस इस बार भी एक खास थीम पर आधारित था। योग दिवस 2025 का विषय था- एक पृथ्वी और एक स्वास्थ्य के लिए योग। यह थीम धरती पर रहने वाले हर एक व्यक्ति की सेहत के लिए योग को प्रोत्साहित करने पर आधारित था। इस थीम का मुख्य उद्देश्य व्यक्तिगत और वैश्विक स्वास्थ्य के बीच संबंध को बताना है। यह बताना है कि हम सब मिलकर और एक राह पर चलकर अपनी मानसिक और शारीरिक परेशानियों का निदान कर सकते हैं। थीम यह साबित करने वाली भी रही कि मानसिक कोलाहल और हिंसक आवेग को योग के माध्यम से शांत किया जा सकता है। विश्व गुरु बनने की आकांक्षा रखने वाले भारत और इसके वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग दिवस का प्रस्ताव रखा था और उसी साल 11 दिसंबर 2014 को यूएन ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का ऐलान किया गया। इस स्वीकृति के बाद पहला योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया, जिसमें दुनिया भर के करोड़ों लोगों ने भाग लिया। इसके बाद से यह सिलसिला चल पड़ा।
आज पूरी दुनिया में जिस तरह की चुनौतियां हैं उनका निराकरण तभी संभव है जब हम मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ-संतुलित और धैर्यवान हों। योग मनुष्य की आंतरिक ऊर्जा को एकत्रित करता है, शारीरिक विकारों को दूर कर स्वास्थ्य को उन्नत बनाता है और मन को शांति प्रदान करता है। जाहिर है कि पृथ्वी की जटिल होती जा रही चुनौतियों का सामना तभी किया जा सकता है जब इसके वासी तन और मन दोनों से स्वस्थ और शांत चित्त रहेंगे। जो लोग योग को अपना चुके हैं वे इसे वरदान से कम नहीं मानते और जो इससे लाभान्वित हुए हैं वे अपने अनुभव साझा करने में पीछे भी नहीं हैं।
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