भारत में अप्रैल महीने की खुदरा महंगाई दर गिरकर 3.16% पर आ गई है। यह दर करीब छह साल का सबसे निचला स्तर है। खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में गिरावट इसका बड़ा कारण रही है। आरबीआई की जून बैठक में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद भी अब बढ़ गई है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2025 में खुदरा महंगाई दर (CPI) घटकर 3.16% हो गई है, जो मार्च में 4.85% थी। यह आंकड़ा रॉयटर्स के 3.27% के अनुमान से भी कम है। खाद्य महंगाई दर में भी तेज गिरावट देखने को मिली है — मार्च में जहां यह 2.69% थी, वहीं अप्रैल में यह घटकर 1.78% पर आ गई। सब्ज़ियों की कीमतों में सालाना आधार पर 11% की गिरावट दर्ज की गई है, जो आम उपभोक्ताओं के लिए बड़ी राहत है।
विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
HDFC बैंक में प्रमुख अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा, "महंगाई में आई गिरावट सब्ज़ियों, अनाज और दालों की कीमतों में व्यापक नरमी की वजह से है। यह आंकड़ा अब आरबीआई की जून बैठक में 0.25% की ब्याज दर कटौती का आधार बन सकता है। आने वाले दो महीनों में महंगाई दर 3% के करीब रह सकती है। यदि मानसून सामान्य रहा और वैश्विक कमोडिटी कीमतें नियंत्रित रहीं, तो पूरे साल महंगाई नियंत्रित रहने की उम्मीद है।"
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सिंगापुर DBS बैंक की वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा, "अप्रैल में लगातार तीसरे महीने महंगाई दर 4% से नीचे रही। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट और वैश्विक ऊर्जा कीमतों में नरमी से यह संतुलन बना रहा है। भूराजनीतिक घटनाओं का अब तक महंगाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है।"
क्या मायने
महंगाई में गिरावट से लोन लेने वालों को फायदा हो सकता है। आरबीआई अगर ब्याज दरों में कटौती करता है, तो होम लोन, ऑटो लोन और बिजनेस लोन की EMI में कमी आ सकती है। इससे बाजार में मांग बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को गति मिल सकती है।
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