भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को संसद में कहा कि मई में पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष इसलिए रोका गया क्योंकि भारत ने अपने सभी राजनीतिक और सैन्य लक्ष्य हासिल कर लिए थे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह फैसला किसी बाहरी दबाव में नहीं लिया गया, बल्कि पूरी तरह भारत की रणनीति का हिस्सा था।
राजनाथ सिंह संसद में 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर चर्चा की शुरुआत कर रहे थे। इस हमले में 26 हिंदू तीर्थयात्रियों की जान गई थी। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन तक चले संघर्ष ने बीते करीब तीन दशकों में सबसे गंभीर सैन्य टकराव का रूप ले लिया था।
रक्षा मंत्री ने कहा, भारत ने अपना ऑपरेशन इसलिए रोका क्योंकि संघर्ष से पहले और उसके दौरान तय किए गए सभी लक्ष्य पूरे कर लिए गए थे। यह कहना कि भारत ने किसी दबाव में आकर कार्रवाई रोकी, बिल्कुल निराधार और गलत है।
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राजनाथ सिंह की यह टिप्पणी ऐसे वक्त आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम उनकी मध्यस्थता से हुआ। पाकिस्तान ने ट्रंप का आभार भी जताया, लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि अमेरिका की इस फैसले में कोई भूमिका नहीं थी और यह युद्धविराम दोनों देशों के बीच आपसी समझ से हुआ।
इसी बीच, सोमवार को भारतीय सेना ने कश्मीर में एक मुठभेड़ में तीन आतंकियों को मार गिराया। टीवी रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि ये आतंकी पहलगाम हमले में शामिल थे। हालांकि, इस दावे की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो सकी है।
संसद में चर्चा के दौरान विपक्ष ने सरकार पर खुफिया नाकामी और हमलावरों को जिंदा पकड़ने में नाकामी का मुद्दा उठाने की तैयारी कर ली है। साथ ही, विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अमेरिकी दबाव में आकर युद्धविराम मान लेने का आरोप भी लगा रहा है। विपक्ष यह भी सवाल उठा रहा है कि मुठभेड़ के दौरान भारतीय वायुसेना के विमान गिराए गए थे और इसकी जानकारी क्यों छिपाई गई।
गौरतलब है कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से तनाव की वजह रहा है। दोनों देश इस पूरे क्षेत्र पर दावा करते हैं और इसके लिए तीन में से दो युद्ध भी लड़ चुके हैं। भारत पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाता रहा है, जबकि पाकिस्तान इसे खारिज करते हुए कश्मीरियों को सिर्फ नैतिक और राजनीतिक समर्थन देने की बात करता है।
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