अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की दूसरी सबसे बड़ी अधिकारी गीता गोपीनाथ अगस्त के अंत में अपना पद छोड़कर हार्वर्ड विश्वविद्यालय लौट जाएंगी। IMF ने कहा कि कोष की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा 'उचित समय' पर गोपीनाथ के उत्तराधिकारी की घोषणा करेंगी। IMF ने सोमवार को एक बयान में कहा खुलासा किया।
गोपीनाथ 2019 में मुख्य अर्थशास्त्री के रूप में IMF में शामिल हुई थीं। वे इस पद पर सेवा देने वाली पहली महिला रहीं और जनवरी 2022 में उन्हें प्रथम उप प्रबंध निदेशक के पद पर पदोन्नत किया गया।
अमेरिकी ट्रेजरी विभाग, जो IMF में प्रमुख अमेरिकी शेयरधारिता का प्रबंधन करता है, की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं मिली। यूरोपीय देश पारंपरिक रूप से कोष के प्रबंध निदेशक का चयन करते रहे हैं वहीं अमेरिकी ट्रेजरी विभाग पारंपरिक रूप से प्रथम उप प्रबंध निदेशक पद के लिए उम्मीदवारों की सिफारिश करता रहा है।
भारत में जन्मी अमेरिकी नागरिक हैं गोपीनाथ
इस घटनाक्रम के समय ने IMF के कुछ अंदरूनी सूत्रों को हैरानी में डाल दिया है और ऐसा प्रतीत होता है कि इसकी पहल गोपीनाथ ने ही की थी। गोपीनाथ ने IMF में शामिल होने के लिए हार्वर्ड छोड़ा था और अब वह अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में विश्वविद्यालय में वापसी करेंगी।
गोपीनाथ के जाने से वित्त मंत्रालय को ऐसे समय में उत्तराधिकारी की सिफारिश करने का मौका मिलेगा जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प वैश्विक अर्थव्यवस्था का पुनर्गठन करने और लगभग सभी देशों से आयात पर उच्च शुल्क लगाकर लंबे समय से चले आ रहे अमेरिकी व्यापार घाटे को समाप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।
गोपीनाथ एक ऐसे विश्वविद्यालय में वापस जाएंगी जो ट्रम्प प्रशासन के निशाने पर रहा है क्योंकि उसने अपने प्रशासन, नियुक्ति और प्रवेश प्रक्रियाओं में बदलाव की मांगों को अस्वीकार कर दिया था।
प्रबंध निदेशक जॉर्जीवा ने कहा कि गोपीनाथ एक बेहद सम्मानित शिक्षाविद के रूप में IMF में शामिल हुईं और अपने कार्यकाल के दौरान एक 'असाधारण बौद्धिक नेता' साबित हुईं, जिसमें महामारी और यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से उत्पन्न वैश्विक झटके भी शामिल थे।
गोपीनाथ ने कहा कि वह IMF में काम करने के 'जीवन में एक बार मिलने वाले अवसर' के लिए आभारी हैं। उन्होंने जॉर्जीवा और पूर्व IMF प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड, जिन्होंने उन्हें मुख्य अर्थशास्त्री नियुक्त किया था, दोनों का धन्यवाद किया।
गोपीनाथ ने एक बयान में कहा कि अब मैं शिक्षा जगत में अपनी जड़ों की ओर लौट रही हूं जहां मैं वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्त और समष्टि अर्थशास्त्र में अनुसंधान के क्षेत्र में आगे बढ़ने और अर्थशास्त्रियों की अगली पीढ़ी को प्रशिक्षित करने के लिए तत्पर हूं।
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