भारत एक गंभीर लेकिन अक्सर नजरअंदाज किए गए सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है। हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, देश में 45 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग हर दो में से एक व्यक्ति (47%) को जोड़ों के पुराने दर्द की शिकायत है। इसके बावजूद अधिकांश लोग समय पर चिकित्सकीय सहायता नहीं ले रहे, जिससे विशेषज्ञों ने इस स्थिति को “साइलेंट एपिडेमिक” यानी एक मौन महामारी करार दिया है।
BMC Geriatrics में प्रकाशित इस विस्तृत अध्ययन में 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 58,000 से अधिक लोगों की प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण किया गया। इसमें 31.7% लोगों ने लगातार पीठ दर्द की शिकायत की, जबकि 20% ने टखनों और पैरों में दर्द की बात कही। हैरानी की बात यह है कि इतने व्यापक दर्द के बावजूद अधिकतर लोग घरेलू नुस्खों, दर्द निवारक दवाओं या लापरवाही पर निर्भर हैं।
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