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ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी में IMBC की शुरुआत, भारतीय वैज्ञानिक को कमान

यह संस्थान ह्यूस्टन क्षेत्र में अपनी तरह का पहला केंद्र होगा, जिसका नेतृत्व भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार करेंगे।

अशोक कुमार / University of Houston

ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ फार्मेसी ने मांसपेशियों की जैविक संरचना और मांसपेशी-क्षय संबंधी विकारों पर शोध और शिक्षा को समर्पित इंस्टीट्यूट ऑफ मसल बायोलॉजी एंड कैशेक्सिया (IMBC) की स्थापना की है। यह संस्थान ह्यूस्टन क्षेत्र में अपनी तरह का पहला केंद्र होगा, जिसका नेतृत्व भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार करेंगे।

मांसपेशी-क्षय और इलाज पर केंद्रित होगा शोध
IMBC की स्थापना का मुख्य उद्देश्य मांसपेशी-क्षय के पीछे के जैविक तंत्र को समझना और इस समस्या से निपटने के लिए नई दवाओं और उपचारों को विकसित करना है। यह समस्या बुजुर्गों, कैंसर, आनुवंशिक विकारों और हृदय संबंधी रोगों से पीड़ित मरीजों में देखने को मिलती है। संस्थान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों को एक साथ लाकर इस क्षेत्र में नवीनतम अनुसंधान और चिकित्सा नवाचार को बढ़ावा देगा।

अशोक कुमार को कमान
IMBC के निदेशक डॉ. अशोक कुमार ने ट्यूमर बायोलॉजी में पीएचडी दिल्ली विश्वविद्यालय से की है। इसके बाद उन्होंने यूटी एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर और बेयलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन में पोस्टडॉक्टरल शोध किया। वे बायोकेमिकल इंजीनियरिंग, बायोटेक्नोलॉजी, कंप्यूटर साइंस और केमिस्ट्री में भी डिग्री प्राप्त कर चुके हैं। उनके नेतृत्व में संस्थान इस क्षेत्र में नई संभावनाओं की तलाश करेगा और मांसपेशियों से जुड़ी बीमारियों के इलाज पर केंद्रित अनुसंधान करेगा।

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अन्य प्रमुख वैज्ञानिक और आगामी सम्मेलन
संस्थान के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. रादबोद दराबी ने बताया कि IMBC ह्यूस्टन और टेक्सास के वैज्ञानिकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देगा और मांसपेशी एवं कैंसर विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों को एक मंच प्रदान करेगा। IMBC का पहला मसल बायोलॉजी एंड कैशेक्सिया सम्मेलन 18-20 मई के बीच यूएच स्टूडेंट सेंटर साउथ में आयोजित होगा। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दुनिया भर से मांसपेशी शोध से जुड़े वैज्ञानिक भाग लेंगे। इसके अलावा, संस्थान छात्रों और शोधार्थियों के लिए विशेष प्रशिक्षण और मार्गदर्शन कार्यक्रम भी चलाएगा।

IMBC से नई उम्मीदें
इस संस्थान की स्थापना से मांसपेशियों से जुड़ी बीमारियों और उनके प्रभावी उपचार को लेकर नई संभावनाएं खुलेंगी। शोधकर्ताओं, डॉक्टरों और छात्रों को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा, जिससे भविष्य में इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या से निपटने के बेहतर विकल्प विकसित किए जा सकेंगे।

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