अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तांबे पर 50 प्रतिशत का नया टैरिफ लगाने की घोषणा की है। टैरिफ की नई दरें 1 अगस्त, 2025 से लागू हो जाएंगी। यह कदम इस्पात और एल्युमीनियम जैसे उद्योगों पर टैरिफ दरों में वृद्धि के बाद उठाया गया है। इसका उद्देश्य रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों के घरेलू विकास को बढ़ावा देना है।
टैरिफ दरों में एशियाई समेत अन्य देशों पत्र जारी करने बाद बाद अब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ दरों में वृद्धि के अपने फैसले को आगे बढ़ा रहे हैं। इस सप्ताह मंगलवार यानी 9 जुलाई को उन्होंने तांबे पर नए टैरिफ दरों का ऐलान किया था। राष्ट्रपति के ऐलान के साथ अमेरिकी कॉमेक्स तांबा वायदा कारोबार में रिकॉर्ड उछाल देखा गया।
तांबे की टैरिफ दरों में 50 प्रतिशत की वृद्धि ट्रंप द्वारा इस्पात और एल्युमीनियम जैसे उद्योगों पर टैरिफ दरों के बाद अगला कदम है। हालांकि रिपोर्ट्स में ऐसे कदमों को आर्थिक मामलों को एक्सपर्ट्स ने महंगाई बढ़ाने वाला बताया है। दावा किया जा रहा है कि टैरिफ दरें बढ़ने से अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए लागत बढ़ जाएगी।
बता दें की तांबे पर टैरिफ से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देश चिली, कनाडा और मेक्सिको हैं, जो अमेरिकी आंकड़ों के अनुसार, 2024 में अमेरिका को परिष्कृत तांबे, तांबे की मिश्र धातुओं और तांबे के उत्पादों के शीर्ष आपूर्तिकर्ता थे।
जबकि चिली, कनाडा और पेरू ने प्रशासन से कहा है कि उनके देशों से आयात अमेरिकी हितों के लिए खतरा नहीं है। उन्हें ऐसे टैरिफ की जरूरत नहीं है। तीनों देशों के अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौते हैं।
तांबे पर टैरिफ दर में वृद्धि से पहले व्हाइट हाउस ने फरवरी में तांबे के आयात की धारा 232 के तहत जांच का आदेश दिया था। इस जांच रिपोर्ट को लेकर ट्रंप ने 9 जुलाई को कहा कि उन्हें एक ठोस राष्ट्रीय सुरक्षा आकलन प्राप्त हुआ है, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया है कि विभिन्न उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण वस्तु के अमेरिकी उत्पादन की सुरक्षा के लिए टैरिफ आवश्यक हैं।
ट्रंप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "तांबा सेमीकंडक्टर, विमान, जहाज, गोला-बारूद, डेटा सेंटर, लिथियम-आयन बैटरी, रडार सिस्टम, मिसाइल रक्षा प्रणाली और यहां तक कि हाइपरसोनिक हथियारों के लिए भी आवश्यक हैं।"
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