ADVERTISEMENTs

अमेरिका-भारत के बीच ट्रेड डील की शर्तें तय, राह में ये कांटे अब भी बाकी

2024 में अमेरिका ने भारत को लगभग 2 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद निर्यात किए थे। वहीं भारत से अमेरिका के लिए कृषि निर्यात लगभग 5.5 अरब डॉलर का था। 

भारत ने कई कृषि उत्पादों पर 39 प्रतिशत का शुल्क लगा रखा है। / Image Reuters

अमेरिका और भारत ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण के लिए रेफरेंस की शर्तों को फाइनल कर लिया है। खबरों के मुताबिक, इस समझौते का मकसद साल 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। हालांकि इसकी राह में कई कांटे भी हैं।

भारत द्वारा कृषि उत्पादों पर लगाए गए प्रतिबंध इस समझौते के सबसे जटिल मुद्दों में से एक हैं। अमेरिका भारत पर चावल और गेहूं जैसे उत्पादों पर टैरिफ घटाने का दबाव डाल रहा है। भारत इसके लिए तैयार नहीं हैं, हालांकि बादाम, क्रैनबेरी, क्विनोआ, ओटमील, पिस्ता और अखरोट जैसे अन्य कृषि उत्पादों पर शुल्क घटाने के लिए तैयार है। 

ये भी देखें - ट्रंप की टैरिफ चाल पर भारत की स्मार्ट डिप्लोमेसी, बढ़ाया दोस्ती का हाथ

अमेरिका चाहता है कि भारत उसके कॉर्न और सोयाबीन आयात करे। भारत को एथेनॉल उत्पादन के लिए मकई की जरूरत होती है लेकिन मौजूदा नियम आयात किए गए अनाज से एथेनॉल बनाने की अनुमति नहीं देते। भारत जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) फूड पर भी रोक लगा रखी है। बता दें कि अमेरिका जीएम कॉर्न का सबसे बड़ा उत्पादक है।

अमेरिका का कहना है कि भारत ने कृषि उत्पादों पर औसतन 39 प्रतिशत का शुल्क लगा रखा है। सेब और कॉर्न जैसे कुछ उत्पादों पर तो यह 50 प्रतिशत तक है। इससे अमेरिकी पोल्ट्री, फ्रेंच फ्राइज, चॉकलेट, बिस्किट और फलों आदि के निर्यात में मुश्किलें आती हैं। 

साल 2024 में अमेरिका ने भारत को लगभग 2 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद निर्यात किए थे। वहीं भारत से अमेरिका के लिए कृषि निर्यात लगभग 5.5 अरब डॉलर का रहा था। 

अमेरिका की मांग है कि भारत प्रोटीन युक्त दालों पर से कोटा लिमिट हटाए, एक्सपोर्ट लाइसेंस अनिवार्यता को आसान बनाए और फूड इंपोर्ट के सख्त स्वच्छता नियमों में लचीलापन लाए। 

भारत कई डेयरी उत्पादों के आयात पर 60 फीसदी तक का शुल्क लगाता है। साथ ही उसके कई नियम अमेरिका से डेयरी उत्पादों के आयात को प्रभावी रूप से रोकते हैं। यह अमेरिका के लिए चिंता का विषय है।

यह वार्ताएं दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को नया आकार देने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं, जिससे न केवल द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि वैश्विक कृषि बाजार में भी संतुलन लाया जा सकेगा। 

Comments

Related

ADVERTISEMENT

 

 

 

ADVERTISEMENT

 

 

E Paper

 

 

 

Video

 

//