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श्री अरबिंदो और द मदर: एक अनोखा रिश्ता, किताब ने खोले कई राज

अरबिंदो और द मदर ने मिलकर पांडिचेरी में अरबिंदो आश्रम की स्थापना की, जो आध्यात्मिक साधना और विकास का एक केंद्र था। आश्रम में कई छात्र और अनुयायी थे, जो उनकी शिक्षाओं से प्रभावित थे। बता दें, श्री अरबिंदो की आध्यात्मिक सहयोगी ने उनपर “द मदर” नामक एक पुस्तक लिखी है। आइए जानते हैं इसके बारे में।

द मदर बुक /


अरबिंदो एक्रोयड घोष को श्री अरबिंदो के नाम से भी जाना जाता है, जो एक भारतीय दार्शनिक, योगी, कवि और राष्ट्रवादी थे। उन्होंने एक आध्यात्मिक दर्शन विकसित किया जिसे समग्र योग कहा जाता है। वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भी सक्रिय रूप से शामिल थे और उनके क्रांतिकारी विचारों ने स्वतंत्रता आंदोलन को प्रभावित किया था।

बता दें, अरबिंदो के जीवन में, द मदर (मीरा अल्फसा) नामक एक महत्वपूर्ण महिला के साथ उनका खास संबंध था। द मदर भी एक योगी और दार्शनिक थीं। श्री अरबिंदो ने उन्हें "मां" कहकर संबोधित किया करते थे। क्योंकि उन्होंने उन्हें नई सृष्टि को जन्म देने और उसका पालन-पोषण करने के लिए माना था। द मदर ने अरबिंदो को भगवान या ईश्वर कहकर संबोधित किया। उनके बीच का संबंध एक आध्यात्मिक था, जिसमें गहरा प्रेम और सम्मान था।


बता दें, अरबिंदो के मित्र और सहकर्मी, अमेरिकी इतिहासकार पीटर हीह्स, जो मूल रूप से न्यूयॉर्क से हैं, अब भारत के पांडिचेरी में रहते हैं, उन्होंने श्री अरबिंदो की आध्यात्मिक सहयोगी “द मदर” के बारे में एक आकर्षक पुस्तक लिखी है।

बता दें, मीरा अल्फासा, जिन्हें "द मदर" के नाम से अधिक जाना जाता है, फ्रांस में जन्मी औरोबिंदो की आध्यात्मिक सहयोगी थीं और उनके इंटीग्रल योग के दर्शन के विकास में एक प्रमुख व्यक्ति थीं। उन्होंने भारत के पांडिचेरी में अरबिंदो आश्रम की स्थापना और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और बाद में प्रायोगिक शहर औरोविले की स्थापना की।

कौन थी मीरा अल्फासा

1878 में एक सेफर्डिक यहूदी परिवार (तुर्की-मिस्र के पिता और मिस्र-यहूदी माँ) में जन्मी, वह बौद्धिक रूप से समृद्ध और कलात्मक वातावरण में पली-बढ़ी। वह एक प्रतिभाशाली चित्रकार और संगीतकार थीं। छोटी उम्र से ही, उन्हें रहस्यमयी दर्शन हुए और उनका आध्यात्मिक झुकाव गहरा था। वह 1914 में पांडिचेरी आईं, अरबिंदो से मिलीं और तुरंत उन्हें अपने आध्यात्मिक समकक्ष के रूप में पहचान लिया।


बता दें, जिन्होंने  "द मदर" के नाम से पुस्तक लिखी है, उनसे पूछा गया कि आपने मां की एक और जीवनी क्यों लिखी है? पहले से ही बहुत सारी हैं। जिसके बाद पीटर हीह्स ने जवाब  दिया मां की अन्य आत्मकथाएं भक्तों के लिए हैं। वे द्वितीयक स्रोतों पर आधारित हैं और विषय के प्रति एक अलोचनात्मक दृष्टिकोण रखती हैं। ऐसी आत्मकथाएं उन लोगों के लिए ठीक हैं जो मां को एक दिव्य अवतार के रूप में देखते हैं, लेकिन उन लोगों के लिए निराशाजनक हो सकती हैं जो केवल उनके जीवन और एक कलाकार, एक लेखक, श्री अरबिंदो आश्रम के संस्थापक और अपने आप में एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में उनके महत्व के बारे में जानना चाहते हैं।


इसके बाद उनसे पूछा गया कि लोग क्यों "द मदर" के नाम से पुस्तक में अपन रुचि दिखाएंगे, जिसके बाद उन्होंने जवाब दिया, "मदर किताब  में आपको पता चलेगा कि एक महिला ने न केवल एक कलाकार, लेखक और आयोजक के रूप में एक समृद्ध जीवन जिया, बल्कि वह एक रहस्यवादी भी थीं, जिनके लेखन और भाषणों ने आध्यात्मिकता के मार्ग पर हजारों लोगों की मदद की है।"

 

 

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