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हिंदू संगठनों के खिलाफ सुनियोजित अभियान: IAMC और HfHR पर केंद्रित रिपोर्ट

एक ओर वे लोग हैं जो सनातन धर्म की विरासत को आगे बढ़ाना चाहते हैं, और दूसरी ओर वे संगठन हैं जो उस विरासत को मिटाने की कोशिश में लगे हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर / pexles

एक ओर अमेरिका में बसे हिंदू संगठन और व्यक्ति सनातन धर्म के मूल्यों पर आधारित सांस्कृतिक गर्व और नागरिक भागीदारी को बढ़ावा देने में लगे हैं, वहीं दूसरी ओर एक समानांतर नेटवर्क सक्रिय है जो इन प्रयासों को बदनाम करने, कमजोर करने और मिटाने में जुटा है।

IAMC और HfHR: मानवाधिकार की आड़ में हिंदू पहचान पर हमला
इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) और हिंदूज़ फॉर ह्यूमन राइट्स (HfHR) जैसे संगठन "मानवाधिकार" और "सामाजिक न्याय" की भाषा में काम करते हुए भारत को एक तानाशाही और धर्म आधारित देश के रूप में पेश करते हैं। IAMC अमेरिकी राज्यों जैसे मिनेसोटा में खासा सक्रिय है, जहां इसने पुलिस फंडिंग रोकने और सार्वजनिक स्थलों पर इस्लामी धार्मिक प्रसारण को सामान्य बनाने जैसे विवादित एजेंडे को बढ़ावा दिया है।

वहीं HfHR, अपने नाम में “हिंदू” शब्द होने के बावजूद, हिंदू त्योहारों और सार्वजनिक धार्मिक आयोजनों को लगातार बदनाम करता है। यह संगठन भारत और विश्वभर के हिंदुओं को उत्पीड़क के रूप में पेश करता है, जबकि खुद को "मानवाधिकार" के पैरोकार बताते हैं।

यह भी पढ़ें- US में हिंदू एडवोकेसी डे: मंदिर सुरक्षा और आस्था की आजादी पर एकजुट हुआ समुदाय

शैक्षणिक मिलीभगत: 'डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्वा' सम्मेलन
2021 में हुए "डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्वा" सम्मेलन को विद्वानों की बैठक के रूप में पेश किया गया, लेकिन असल में यह हिंदू विचारधारा को बदनाम करने की एक संगठित कोशिश थी। इस कार्यक्रम को अमेरिका की कई नामी यूनिवर्सिटी डिपार्टमेंट्स का समर्थन प्राप्त था, लेकिन इसमें वैकल्पिक हिंदू दृष्टिकोण को सिरे से खारिज कर दिया गया।

त्योहारों पर हमला: ‘होली अगेंस्ट हिंदुत्व’
SAHI नामक छात्र संगठन द्वारा चलाया गया “होली अगेंस्ट हिंदुत्व” अभियान भी इसी प्रवृत्ति का उदाहरण है। रंगों और एकता का प्रतीक होली त्योहार को राजनीतिक हिंसा से जोड़कर प्रस्तुत किया गया, जिससे हिंदू परंपराओं को गलत रूप में पेश करने का प्रयास किया गया।

रटगर्स रिपोर्ट और विश्वविद्यालयों में हिंदू विरोध
रटगर्स यूनिवर्सिटी की एक गुमनाम रिपोर्ट ने हिंदू संगठनों को "चरमपंथी" बताने की कोशिश की। इसके अलावा यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन और कैलिफोर्निया जैसे संस्थानों में छात्रों द्वारा हिंदू धर्म के प्रति हो रहे पूर्वग्रह पर आपत्ति जताने पर उन्हें नजरअंदाज किया गया।

(रिपोर्ट में लेखक के अपने विचार हैं और यह "न्यू इंडिया अब्रॉड" की आधिकारिक राय नहीं है।)

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