भारतीय मूल के लोगों के वैश्विक संगठन (GOPIO) ने 9 अगस्त, 2025 को अपनी वेबिनार श्रृंखला आयोजित की। इसका एक आकर्षक सत्र था- AI आपके लिए क्या कर सकती है? इस आयोजन में शोधकर्ताओं, नवप्रवर्तकों, उपयोगकर्ताओं और सामुदायिक विचारकों सहित प्रमुख विशेषज्ञों ने दुनिया भर में दैनिक जीवन में AI के प्रभाव पर चर्चा करने के लिए हिस्सेदारी की।
GOPIO के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. थॉमस अब्राहम ने इस पहल को एक स्पष्ट संदेश के साथ प्रस्तुत किया कि हमारा लक्ष्य एक ऐसा वैश्विक मंच तैयार करना है जो न केवल प्रवासी भारतीयों को दैनिक जीवन में AI के उपयोग के बारे में जानकारी प्रदान करे बल्कि उन्हें इसके लिए सक्षम भी बनाए। इन वेबिनारों के माध्यम से GOPIO जुड़ाव, वकालत और सामुदायिक लचीलेपन के लिए एक उत्प्रेरक बना हुआ है।
GOPIO के अध्यक्ष प्रकाश शाह ने सामुदायिक आवश्यकताओं को पूरा करने में इस श्रृंखला की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। शाह ने कहा कि यह श्रृंखला सिर्फ जानकारी से कहीं बढ़कर है। यह एक जीवनरेखा है। हम सीमाओं के पार अपने समुदायों को शिक्षित करने और दैनिक जीवन में AI के उपयोग के प्रति सक्रिय प्रतिक्रिया तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके अलावा, हम अपने मासिक वेबिनार के माध्यम से विभिन्न विषयों पर सीखने के अवसर प्रदान करना चाहते हैं और प्रवासी भारतीयों में जागरूकता बढ़ाना चाहते हैं।
अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में मॉडरेटर कथिरवेल कुमारराजा ने इस बात पर जोर दिया कि AI को समझदारी से अपनाना वैकल्पिक नहीं है। यह किसी भी उद्योग में अस्तित्व और विकास की नई आधारशिला है।
वेबिनार के मुख्य अतिथि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित दूरसंचार आविष्कारक, उद्यमी, विकास विचारक और नीति निर्माता डॉ. सैम पित्रोदा थे,। उन्होंने सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी और इससे संबंधित वैश्विक एवं राष्ट्रीय विकास में 50 वर्ष बिताए हैं।
1980 के दशक में भारत की दूरसंचार और प्रौद्योगिकी क्रांति की नींव रखने वाले डॉ. पित्रोदा वैश्विक डिजिटल विभाजन को पाटने में अग्रणी प्रचारक रहे हैं। डॉ. पित्रोदा ने वेबिनार की शुरुआत दैनिक जीवन में AI के महत्व पर अपनी टिप्पणियों के साथ की और वक्ताओं और श्रोताओं को 'लाभ और शक्ति के बजाय लोगों और ग्रह के लिए AI के उपयोग' पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया।
कुमारराजा के साथ बातचीत में डॉ. पित्रोदा ने कहा कि AI अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी युवा पीढ़ी के पास एक ऐसे भविष्य को आकार देने की कुंजी है जहां प्रौद्योगिकी भलाई की शक्ति हो यानी भूख और गरीबी को स्थायी चुनौतियों से हल करने योग्य समस्याओं में बदलना।
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