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ओ-1 वीजा: भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए एक नई रणनीतिक राह

इमिग्रेशन अटॉर्नी रवनीत कौर बरार ने O-1A वीजा प्रक्रिया को लेकर न्यू इंडिया अब्रॉड से खास बातचीत की।

इमीग्रेशन एटॉर्नी रवनीत कौर बरार /

ग्रीन कार्ड की लंबी प्रतीक्षा सूची और एच-1बी वीजा लॉटरी की अनिश्चितता से जूझ रहे भारतीय पेशेवर अब ओ-1 वीजा की ओर रुख कर रहे हैं। "असाधारण प्रतिभा" वाले लोगों के लिए जाने जाने वाला यह वीजा उन लोगों के लिए एक चुनौतीपूर्ण लेकिन व्यवहार्य विकल्प बनकर उभरा है, जो अपने क्षेत्र में राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धि दिखा सकते हैं। इंजीनियर, डेटा साइंटिस्ट, स्टार्टअप फाउंडर और मेडिकल रिसर्चर जैसे पेशेवर इस वीजा को न केवल प्लान बी, बल्कि दीर्घकालिक अमेरिकी इमिग्रेशन योजना को मजबूत करने की रणनीति के रूप में देख रहे हैं।

New India Abroad को दिए एक विशेष साक्षात्कार में इमिग्रेशन अटॉर्नी रवनीत कौर बरार ने O-1A वीजा प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि यह वीजा विशेष प्रतिभा रखने वाले पेशेवरों के लिए होता है, और भारतीय आवेदकों के लिए यह एक व्यावहारिक विकल्प बन सकता है, खासकर मौजूदा नीतिगत अनिश्चितताओं के माहौल में।

बरार ने H-1B वीजा से O-1A वीजा के मुख्य अंतर, पात्रता मानदंड और दस्तावेजों की रणनीति को लेकर भी जरूरी सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि सही मार्गदर्शन और योजना के साथ पेशेवर इस वीजा का लाभ उठाकर अमेरिका में बेहतर अवसर पा सकते हैं।

ओ-1 वीजा वर्सेस H-1B: क्या हैं मुख्य फर्क?
ओ-1 वीजा सिर्फ एक सामान्य वर्क वीजा नहीं है, बल्कि इसके लिए आवेदक को विज्ञान, कला, शिक्षा, व्यापार या खेल जैसे किसी भी क्षेत्र में असाधारण क्षमताओं का स्पष्ट और ठोस प्रमाण देना आवश्यक होता है। यह प्रक्रिया एच-1बी की तुलना में काफी कठिन और विस्तृत मानी जाती है, जहां केवल मान्यता प्राप्त डिग्री और विशेष पेशे में नौकरी के ऑफर की जरूरत होती है। ओ-1 वीजा की हर फाइलिंग में मीडिया कवरेज, पुरस्कार, शोध प्रकाशन आदि का विस्तृत और ठोस दस्तावेजी सबूत देना जरूरी है, दस्तावेजी मांगें एच-1बी से कहीं ज़्यादा होती हैं।

इसके अलावा, ओ-1 वीजा पूरी तरह अपने स्पेसिफिक एम्प्लॉयर और भूमिका से बंधा होता है—यदि वीजा धारक नौकरी, कंपनी या प्रोजेक्ट बदलना चाहते हैं तो नया या संशोधित आवेदन (पिटिशन) जरूरी है, जबकि एच-1बी में एसी21 नियम के तहत पोर्टेबिलिटी कहीं अधिक सरल है। अंत में, ओ-1 के डिपेंडेंट्स (ओ-3) को काम करने की अनुमति नहीं मिलती, जबकि एच-1बी से जुड़े कुछ मामलों में एच-4 वीजा पर डिपेंडेंट्स को वर्क परमिट मिलना संभव है।

कौन-कौन पात्र?
ओ-1 वीजा उन भारतीय पेशेवरों के लिए उपयुक्त माना जाता है जो विज्ञान, तकनीक, शिक्षा, व्यापार या कलाओं जैसे क्षेत्रों में असाधारण क्षमताओं के प्रबल प्रमाण प्रस्तुत कर सकते हैं। खासकर डेटा साइंटिस्ट, एआई/एमएल विशेषज्ञ, और इंजीनियर जिनके शोध पत्र प्रकाशित हों, पेटेंटेड प्रोडक्ट्स या एल्गोरिद्म बनाए हों, और जो गूगल, मेटा, अमेज़ॅन जैसी प्रमुख अमेरिकी टेक कंपनियों या यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स में महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हों, वे इस वीजा के लिए मजबूत उम्मीदवार माने जाते हैं। ऐसे पेशेवरों के पास आम तौर पर अपने क्षेत्र में उच्च स्तर की पहचान और योगदान के प्रमाण होते हैं, जो ओ-1 वीजा के “असाधारण क्षमता” वाले मानदंडों को पूरा करते हैं।

डॉक्टर्स और मेडिकल रिसर्चर, जिनके नाम पेयर-रिव्यूड जर्नल्स में शोध प्रकाशित हैं, क्लीनिकल ट्रायल्स में शामिल रहे हैं, मेडिकल बोर्ड के सदस्य हैं या उन्होंने महत्वपूर्ण इनोवेशन या निदान उपकरण विकसित किए हैं, वे भी ओ-1 वीजा के लिए पात्र होते हैं। इसी तरह, स्टार्टअप एंटरप्रेन्योर या फाउंडर्स जो सीड या सीरीज फंडिंग प्राप्त कर चुके हैं, मीडिया में छाए हैं, तेज़ी से बढ़ते हुए प्रोडक्ट लॉन्च किए हैं, खासकर अमेरिकी आधारित स्टार्टअप के संस्थापक, उनके लिए भी यह वीजा एक मजबूत विकल्प है।साबित होता है।

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