भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ताएं अब अगले हफ्ते तक बढ़ा दी गई हैं, क्योंकि दोनों देश कृषि और ऑटोमोबाइल सेक्टर में टैरिफ में कटौती पर सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह वार्ता 9 जुलाई की डेडलाइन से पहले एक अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए हो रही है। यह जानकारी भारत सरकार के सूत्रों ने दी है।
नई दिल्ली में भारतीय मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल की अगुवाई में भारतीय अधिकारियों और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय (USTR) के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच दो दिनों तक बातचीत हुई। एक सरकारी अधिकारी ने बताया, “दोनों देश बाजार पहुंच को बेहतर बनाने, टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने और आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन लाने के लिए गंभीर बातचीत कर रहे हैं।” वार्ताकारों की योजना शुक्रवार तक बातचीत खत्म करने की थी, लेकिन अब बची हुई असहमति को सुलझाने के लिए सोमवार और मंगलवार को बातचीत जारी रहेगी।
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फरवरी में इस बात पर सहमत हुए थे कि 2025 की शरद ऋतु तक एक द्विपक्षीय व्यापार समझौता पूरा कर लिया जाए और 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर से ज्यादा किया जाए। इस समय जो बातचीत चल रही है, उसका उद्देश्य एक सीमित व्यापार समझौते तक पहुंचना है, जिससे ट्रम्प प्रशासन भारतीय वस्तुओं पर लगे 26% पारस्परिक टैरिफ को रद्द कर सकता है। फिलहाल यह टैरिफ 90 दिनों के लिए स्थगित किए गए हैं। एक अधिकारी ने बताया, “कई भारतीय निर्यातकों ने पिछले दो हफ्तों में अमेरिका के लिए माल भेजना रोक दिया है, उन्हें डर है कि सामान 9 जुलाई से पहले नहीं पहुंच पाएगा।”
अमेरिकी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत से अमेरिका को निर्यात जनवरी से अप्रैल 2025 के बीच 28% बढ़कर 37.7 अरब डॉलर हो गया, जबकि इसी अवधि में अमेरिका से आयात 14.4 अरब डॉलर रहा। इससे भारत के पक्ष में व्यापार अधिशेष और बढ़ गया। इस बीच, भारत ने एलन मस्क की स्टारलिंक को व्यावसायिक परिचालन शुरू करने के लिए लाइसेंस दे दिया है, जबकि मस्क और ट्रम्प के बीच सार्वजनिक विवाद की खबरें भी सामने आई थीं। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि भारत ने अमेरिकी कृषि और डेयरी बाजार की मांगों का विरोध किया है, क्योंकि इससे गरीब किसानों पर बुरा असर पड़ सकता है, जो अमेरिकी सब्सिडी वाले उत्पादों से मुकाबला नहीं कर सकते।
भारतीय अधिकारियों ने यह भी साफ कर दिया है कि यदि समझौता नहीं होता तो भारत वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) में अमेरिका द्वारा स्टील और एल्यूमिनियम पर लगाए गए टैरिफ के खिलाफ अपनी शिकायत को आगे बढ़ा सकता है। हालांकि, साथ ही यह कोशिश भी जारी रहेगी कि कोई द्विपक्षीय समाधान निकाला जाए।
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