रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष के बीच अमेरिका ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए। लेकिन 'मित्र देशों' के जरिए मॉस्को का तेल कारोबार जारी है। ऐसे में भारत भी यूएस की उस लिस्ट में शामिल हो गया, जो यूएस की उच्च टैरिफ दरों का सामना कर रहे हैं। इस बीच भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि नीति स्पष्ट है, भारत किसी टैरिफ प्रतिबंध के आगे झुकने वाला नहीं है।
भारत रूसी उत्पादन पर छूट का लाभ उठाकर रूसी समुद्री कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन चुका है। यूएस की ओर से भारतीय वस्तुओं पर भारी आयात शुल्क लगाने के पीछे यह एक बड़ा कारण है।
हालांकि भारत ने कई मौकों पर तेल आयात के मुद्दे पर आईना दिखाया। भारत ने कहा दूसरों से रूस के बहिष्कार की अपेक्षा रखने वाले खुद मॉस्को से व्यापार जारी रखे हुए हैं। अमेरिका पिछले वर्ष दूसरे देशों पर प्रतिबंधों के बावजूद खुद रूस से व्यापार करता रहा। यही नहीं यूके के भी रूस से व्यापारिक संबंध जारी हैं।
इस बीच अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने भारत से वाशिंगटन के साथ व्यापार वार्ता फिर से शुरू करने और रूसी तेल खरीदना बंद करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "हम हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं। चीनी और भारत हमें बेचते हैं। लेकिन वे एक-दूसरे को नहीं बेच सकते।"
उन्होंने कहा, "या तो यूएस का समर्थन करें या फिर 50 प्रतिशत टैरिफ का भुगतान... फिर देखते हैं यह कब तक चलता है।"
लुटनिक ने आगे कहा कि या तो भारत एक या दो महीने में वापस आएगा और व्यापार समझौते की कोशिश करेगा।
वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण ने कहा कि भारत भारत रूसी तेल खरीदना जारी रखेगा क्योंकि यह किफायती साबित होता है।
वित्त मंत्री ने कहा, "भारत अपनी अधिकांश विदेशी मुद्रा कच्चे तेल और परिष्कृत ईंधन की खरीद पर खर्च करता है। ऐसे में हमें तय करना होगा कि कौन सा (आपूर्ति स्रोत) हमारे लिए सबसे उपयुक्त है। इसलिए हम निस्संदेह इसे खरीदेंगे।"
बता दें कि यूरोप और अमेरिका ने 2022 में मास्को द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण की आशंका के चलते रूसी तेल से दूरी बना ली है, वहीं भारत रूसी उत्पादन पर छूट का लाभ उठाकर रूसी समुद्री कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है।
वित्त मंत्री सीतारमण ने आगे कहा, "चाहे वह रूसी तेल हो या कुछ और, यह हमारा निर्णय है कि हम उस जगह से खरीदें जो हमारी जरूरतों के अनुकूल हो, चाहे वह किसी भी मामले में हो।"
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