यूएस के बढ़ते राजकोषीय घाटे और ऋष के दवाब को लेकर अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने बड़ी बात कही है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन द्वारा चीन पर टैरिफ वापस लेने और यूएस और यूके के बीच आर्थिक समझौते जैसे सकारात्मक कदम के अलावा अमेरिका अभी भी व्यापार नीति अनिश्चितता से प्रभावित है। ऐसे में देश को अपने "लगातार बढ़ते" ऋण बोझ से निपटने की आवश्यकता है।
21 मई को प्रकाशित फाइनेंशियल टाइम्स के एक साक्षात्कार में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने कई बड़ी बातें कहीं। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका का राजकोषीय घाटा बहुत अधिक है और देश को अपने लगातार बढ़ते ऋण बोझ से निपटने की आवश्यकता है।
यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब अर्थशास्त्रियों और निवेशकों को डर है कि डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन दोनों द्वारा वर्षों से की जा रही राजकोषीय लापरवाही अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए संकट की स्थिति पैदा कर रही है।
इससे पहले ट्रम्प 2017 में अपने पहले कार्यकाल में पारित कर कटौती को बढ़ाने और नए कर छूट जोड़ने का प्रस्ताव कर रहे हैं। गीता गोपीनाथ के मुताबिक, अमेरिका अभी भी "बहुत अधिक" व्यापार नीति अनिश्चितता से प्रभावित है। रिपोर्ट में गीता के हवाले से कहा गया, "अप्रैल में हमने जो अनुमान लगाया था, उससे कम औसत टैरिफ दरें होना निश्चित रूप से सकारात्मक है... लेकिन अनिश्चितता का स्तर बहुत अधिक है, और हमें देखना होगा कि नई दरें क्या होंगी।"
वहीं अप्रैल में, आईएमएफ ने यू.एस. टैरिफ के प्रभाव के कारण अधिकांश अन्य देशों के साथ-साथ अपने यू.एस. विकास पूर्वानुमान में कटौती की, जबकि चेतावनी दी कि आगे के व्यापार तनाव से विकास और धीमा हो जाएगा। रेटिंग एजेंसी ने बड़े वार्षिक राजकोषीय घाटे और बढ़ती ब्याज लागत को कम करने के प्रयासों में लगातार यू.एस. प्रशासन और कांग्रेस की विफलता का भी जिक्र किया गया।
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