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अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति के अधिवेशन में भारतीय संस्कृति का उत्सव

समिति की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शैल जैन ने अमेरिका के स्कूलों में हिंदी को बढ़ावा देने और नई पीढ़ी तक अपनी भाषा और सांस्कृतिक मूल्यों को पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया।

आयोजन से जुड़ी एक यादगार तस्वीर। / अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति

भारत से दूर, अमेरिका की धरा पर अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति का 22वां द्विवार्षिक अधिवेशन उत्तर-पूर्वी ओहायो शाखा ने 2-3 मई, 2025 को क्लीवलैंड में सफलतापूर्वक आयोजित किया।  ये आयोजन तीन सत्रों में संपन्न हुआ। 

इस आयोजन को कई नगरपालिकाओं से सम्मान मिला। रिचफील्ड और एक्रन नगर के मेयरों ने मई को 'अंतरराष्ट्रीय हिंदी जागरूकता माह' जबकि मेदाईना, ब्रॉडव्यू हाइट्स और इंडिपेंडेंस नगरों के मेयरों ने 'अंतरराष्ट्रीय हिंदी जागरूकता सप्ताह' घोषित किया।

कार्यक्रम में स्थानीय महापौरों, IHA के न्यासी अध्यक्ष, अन्य न्यासी सदस्य, पूर्व और वर्तमान पदाधिकारियों, अमेरिका भर की विभिन्न शाखाओं के प्रतिनिधियों, स्थानीय सदस्य गणों तथा हिंदी और भारतीय संस्कृति के प्रेमियों ने भाग लिया। रोटरी डिस्ट्रिक्ट 6630 से एक एक्सचेंज स्टूडेंट काई टोटे भी शामिल हुए, जो जुलाई 2025 में एक वर्ष के लिए भारत जा रहे हैं।

ये अधिवेशन हिंदी भाषा की विरासत  और आशान्वित भविष्य का सुन्दर तानाबाना था।  तीन विचारपूर्वक चुने गए और व्यवस्थित किये गए सत्रों में फैले इस सम्मेलन में हिंदी के कई आयामों पर प्रकाश डाला गया। एक भाषा और डिजिटल क्रांति का प्रभाव, एक सांस्कृतिक सूत्र के रूप में और एक जीवंत भावना लिए काव्य संध्या के रूप में।

प्रथम सत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम 2 मई की शाम को मेदाइना के हाईलैंड हाई स्कूल में आयोजित किया गया। अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति के न्यासी अध्यक्ष श्री तरुण सुरती, अध्यक्षा डॉक्टर शैल जैन और मेदाइना के मेयर श्री डेनिस हैनवेल ने अपने विचारों से दर्शकों को अवगत कराया। 

अधिवेशन के दौरान एक मंचीय प्रस्तुति। / अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति

इसमें भारत से आए पोस्टकार्ड जीवंतता लिए प्रकट हुए। रंग, संस्कृति और जुड़ाव से भरे हुए। शास्त्रीय नृत्य से लेकर ऊर्जावान लोक नृत्यों तक, दिल को छू लेने वाले गीतों से लेकर शक्तिशाली काव्य पाठ और शायरी तक इस सुहावनी संध्या ने भारत की अविश्वसनीय और अद्भुत विविधता और हिंदी भाषा की समृद्धि की एक झलक एक अनूठे ढंग से प्रस्तुत की। पोस्टकार्ड्स की अनूठी संकल्पना दर्शकों को एक भावनात्मक और कलात्मक यात्रा पर ले गई। 

बच्चों की प्रस्तुति में स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा आजादी का आह्वान, विविध राज्यों की झलकियां प्रस्तुत की गईं। सभी युवा प्रतिभागियों को उत्तर-पूर्वी ओहायो शाखा की ओर से हिंदी पुस्तकें भेंट की गईं।

द्वितीय सत्र में शैक्षिक कार्यशाला 3 मई दिन में, क्वालिटी इन रिचफ़ील्ड , ओहायो में आयोजित की गई। इसमें युवाओं और भाषा प्रेमियों के लिए एक विचारोत्तेजक कार्यशाला आयोजित की गई। विषय था- नई पीढ़ी, हिंदी और भारतीय संस्कृति, डिजिटल युग में। इसमें भाषा सीखने के लिए नई प्रौद्योगिकी, AI की भूमिका और हिंदी को प्रौद्योगिक रूप से सक्षम बनाने की संभावनाओं पर चर्चा हुई। 

AI और डिजिटल उपकरणों के युग में हिंदी के उभरते परिदृश्य पर जानकारी दी गई। प्रतिभागियों को हिंदी सीखने और उसे संरक्षित करने में प्राद्यौगिकी की क्षमता और उसके योगदान के बारे में अवगत कराया गया।  इस सत्र में गहन विचार किया गया कि AI  न केवल अनुवाद के साधन के रूप में विकसित हो, बल्कि आत्म-अभिव्यक्ति, रचनात्मकता के रूप में विक्सित हो जो हिंदी की आत्मा को समझ सके और  भावी पीढ़ी के लिए एक सरल और वैचारिक माध्यम बन सके। 

दो पुस्तकों का विमोचन भी हुआ। पहली 'कुछ हम भी लिख गए हैं तुम्हारी किताब में' गुलाब खंडेलवाल की गजलें (संपादक: ओम निश्चल और दूसरा उपन्यास 'नंदिता अभिनव' (लेखक: अशोक लव)। 

तृतीय सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन 3 मई की शाम को क्वालिटी इन रिचफील्ड , ओहायो में किया गया। अर्चना पांडा, अभिनव शुक्ल और इंद्रा अवस्थी ने श्रोताओं को अपनी काव्य-शैली, हास्य और व्यंग्य से आनंदित कर दिया। जहां श्रोता हास्य से गुदगुदाए वहीँ वे व्यंग्य सुन तनिक ठहर, सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था पर चिंतन करते नजर आए। ये अनूठा अनुभव चुपके से ये कह गया कि हिंदी कविता हमारे दिलों में क्यों एक शाश्वत स्थान रखती है।

अधिवेशन का सफल आयोजन समस्त अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति और ख़ासकर उत्तर पूर्वी, ओहायो मेजबान शाखा का हिंदी भाषा के प्रचार, प्रसार के प्रति योगदान और कर्मठता को दर्शाता है।  लेकिन तालियों की गड़गड़ाहट के पीछे एक कोमल प्रतिध्वनि छिपी थी- एक अनुस्मारक कि भले ही हमारी जड़ें गहरी हों, उन्हें सींचना ज़रूरी है। 

आज की तीव्र गति से दौड़ती दुनिया में, हमें अपने आप से पूछना चाहिए कि क्या हम हिंदी को सिर्फ कामकाज में ही नहीं, बल्कि भावना में भी जिंदा रख सकते हैं? क्या अगली पीढ़ी को एक जीवंत भाषा विरासत में मिलेगी या सिर्फ़ एक पुरानी याद? भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि हम हिंदी के प्रचार और प्रसार के लिए क्या कदम उठा रहें हैं। हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं है। वो एक गीत है, एक कहानी है, एक आत्मा है, हमारी पहचान है और हमारी संस्कृति है। इसलिए इस धरोहर को भावी पीढ़ी के लिए संजो कर रखना हमारा कर्त्तव्य है। 

समिति की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शैल जैन ने अमेरिका के स्कूलों में हिंदी को बढ़ावा देने और नई पीढ़ी तक अपनी भाषा और सांस्कृतिक मूल्यों को पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया। यह अधिवेशन विविधता में एकता का सशक्त उत्सव और विभिन्न राज्यों से आए अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति के प्रतिनिधियों के मिलन का यादगार अवसर रहा ।

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