कनाडा के मल्टन और एटोबिकोक में इस सप्ताहांत निकाली गई नगर कीर्तन रैलियों ने एक गंभीर विवाद को जन्म दे दिया है। खालिस्तान समर्थकों ने इन धार्मिक आयोजनों के मंच से खुलेआम हिंदुओं के खिलाफ नफरत भरी बातें कीं, जिसमें सबसे खतरनाक मांग यह थी कि "कनाडा में रह रहे 8 लाख हिंदू देश छोड़ दें।" यह मांग केवल एक भड़काऊ बयान नहीं, बल्कि जातीय सफाए जैसा खतरा है, जिसकी निंदा पूरे कनाडा में हो रही है।
धार्मिक आयोजन या नफरत फैलाने का मंच?
गौर करने वाली बात यह है कि यह बयान तथाकथित धार्मिक जुलूसों के दौरान दिया गया, जहां खालिस्तानी आतंकियों के पोस्टर, भारत-विरोधी नारे और हिंसा को भड़काने वाले भाषण खुलेआम दिए गए।
कैनेडियन हिंदू वॉलंटियर्स (CHV) नामक संस्था ने इस घटनाक्रम की कड़ी निंदा करते हुए कहा है, “यह धार्मिक स्वतंत्रता नहीं, बल्कि पवित्रता की आड़ में छिपा आतंकवाद है। हिंदुओं को कनाडा से निकालने की मांग एक स्पष्ट रूप से घृणित और आतंकवादी मानसिकता है, जिसे किसी भी सभ्य समाज में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
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एयर इंडिया बम धमाका और खालिस्तानी हिंसा
CHV ने खालिस्तानी इतिहास की ओर इशारा करते हुए कहा कि 1980-90 के दशक में भारत में खालिस्तानी आतंकवाद ने हज़ारों बेगुनाहों की जान ली। कनाडा भी इससे अछूता नहीं रहा — 1985 में एयर इंडिया की उड़ान 182 पर बम धमाके में 329 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकांश कनाडाई नागरिक थे। इस हमले की साजिश कनाडा में ही रची गई थी।
पत्रकारों और नेताओं पर हमले
जो लोग इस कट्टरपंथ के खिलाफ बोलते हैं, उन्हें निशाना बनाया जाता है। जिसमें पत्रकार तारा सिंह हैयर की हत्या कर दी गई। पूर्व B.C. प्रीमियर उज्जल दोसांझ पर जानलेवा हमला हुआ। मीडिया और सामाजिक कार्यकर्ता बलराज देओल, जगदीश ग्रेवाल, और दीपक पुंज को लगातार धमकियां मिल रही हैं।
CHV ने कनाडाई खुफिया एजेंसी (CSIS), रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) और स्थानीय पुलिस से मांग की है कि इन घटनाओं की गंभीरता से जांच हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि आव्रजन प्रणाली की समीक्षा की जाए, ताकि कट्टरपंथी तत्व इसका दुरुपयोग न कर सकें। धार्मिक संस्थानों को चेतावनी दी जाए कि वे आतंकियों का महिमामंडन न करें। राजनीतिक दल वोटबैंक की राजनीति छोड़कर खुलकर आतंक और हिंदू-विरोध की निंदा करें।
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