संयुक्त राष्ट्र की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने डोनाल्ड ट्रम्प की नई सरकार में तुलसी गबार्ड को राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (डीएनआई) नॉमिनेट किए जाने को लेकर नाखुशी जताई है।
विदेश नीति पर तुलसी गबार्ड की पिछली टिप्पणियों पर चिंता का हवाला देते हुए हेली ने गबार्ड को रूस, सीरिया, ईरान, चीन के प्रति सहानुभूति रखने वाला करार दिया और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के उच्च पद के लिए उनकी उपयुक्तता पर सवाल उठाया। डीएनआई का गठन 2005 में 11 सितंबर के हमलों के बाद खुफिया एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय के लिए किया गया है।
निक्की हेली ने SiriusXM पर बोलते हुए सवाल किया कि क्या अमेरिका एक ऐसे डीएनआई कैंडिडेट के साथ सहज है जो अधिकारवादी शासन के समर्थन का दावा किया है। उन्होंने रूस, सीरिया, ईरान और चीन का बचाव किया। इनमें से किसी भी विचार की निंदा नहीं की। डीएनआई इस तरह के पक्षपाती व्यक्ति के लिए नहीं है। इस भूमिका में किसी ऐसे निष्पक्ष व्यक्ति की जरूरत है जो वैश्विक खतरों का निष्पक्ष आकलन कर सके।
निक्की हेली ने ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों को लेकर गबार्ड द्वारा की गई आलोचना और ईरानी सेना को आतंकवादी संगठन के रूप में नामित करने पर किए गए उनके विरोध का भी जिक्र किया। हेली ने कहा कि उन्होंने (गबार्ड) ने ईरानी परमाणु समझौते को खत्म करने का विरोध किया और ईरान के खिलाफ ट्रम्प की कार्रवाई को सीमित करने की मांग उठाई थी।
हेली ने आगे कहा कि उन्होंने (गबार्ड) ने ईरान के आतंकी सरगना कासिम सुलेमानी पर हमले की भी आलोचना की थी। इस तरह के विचार अमेरिका के विरोधियों का बचाव करने का पैटर्न दिखाती हैं। हेली ने सीरियाई गृहयुद्ध के दौरान सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद के साथ गबार्ड की 2017 की बैठक की भी याद दिलाई।
राष्ट्रीय खुफिया निदेशक पद पर तुलसी गबार्ड के नामांकन ने खुफिया एजेंसियों के राजनीतिकरण को लेकर व्यापक बहस छेड़ दी है। आलोचकों की दलील है कि गबार्ड की नियुक्ति सीआईए समेत 18 खुफिया एजेंसियों की निगरानी वाली भूमिका के लिए जरूरी निष्पक्षता के अनुरूप नहीं है।
यूएस नेवल वॉर कॉलेज के प्रोफेसर टॉम निकोल्स का कहना है कि गबार्ड की नियुक्ति अमेरिकी सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकती है। गबार्ड जैसे विचारों रखने वाला व्यक्ति अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के पास भी नहीं फटकना चाहिए।
सीआईए के एक पूर्व अधिकारी और अब स्टिमसन सेंटर में सेवाएं दे रहे मैथ्यू बरोज़ ने आशंका जताई कि गबार्ड की अगुआई में खुफिया एजेंसियों की ब्रीफिंग में पूर्वाग्रह दिखाई दे सकता है। बरोज़ ने गबार्ड को लेकर आगाह किया कि उनके पास राष्ट्रपति की डेली ब्रीफिंग को प्रभावित करने का अधिकार होगा। ऐसे में जो चीजें ट्रम्प की नीतियों से मेल नहीं खाएंगी, उन्हें छोड़ा जा सकता है।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login