पर्ड्यू यूनिवर्सिटी के प्रोवोस्ट ऑफिस ने गौरव चोपड़ा का केमिस्ट्री के जेम्स तारपो जूनियर और मार्गरेट तारपो एसोसिएट प्रोफेसर पद पर प्रमोशन की घोषणा की है। यह सम्मान केमिस्ट्री और बायोलोजी विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता के इंटीग्रेशन में चोपड़ा के योगदान को मान्यता प्रदान करता है।
चोपड़ा का शोध अल्जाइमर जैसे न्यूरो डीजेनेरेटिव रोगों पर फोकस के साथ न्यूरोसाइंस, इम्यूनोलॉजी और दवाओं की खोज में जटिल चुनौतियों के समाधान के लिए एआई के प्रयोग पर केंद्रित है। केमिस्ट्री और बायोलोजी के संयोजन और एआई सिस्टम की नई तकनीकों के माध्यम से थेरेपी का उनकी तरीका काफी अनूठा माना जाता है।
चोपड़ा की उल्लेखनीय उपलब्धियों में मस्तिष्क कोशिकाओं में लिपिड संचय के बारे में उनका शोध भी शामिल है। यह न्यूरो डीजेनेरेशन की एक प्रमुख वजह होता है। चोपड़ा ने एआई निर्देशित प्लेटफार्म के जरिए न्यूरो इन्फ्लेमेटरी और न्यूरो डीजेनेरेटिव रोगों के उपचार के संभावित तरीकों की पहचान की है।
गौरव चोपड़ा को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है। इनमें दवाओं की खोज में ऑटोमेशन प्लेटफॉर्म तैयार करने के लिए उन्हें NIH NCATS ASPIRE के ग्रैंड पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। इस प्लेटफॉर्म को कई अग्रणी दवा कंपनियों द्वारा और एनआईएच की लैब में उपयोग किया जा रहा है।
मर्क-पर्ड्यू सेंटर के निदेशक के रूप में डॉ चोपड़ा को अनुसंधान के लिए 3 मिलियन डॉलर से अधिक का अनुदान मिला है। उनके प्रयासों ने 16 मिलियन डॉलर से अधिक का फंड बाहर से भी दिलाया है जिसमें 8 मिलियन तो सिर्फ उनके लैब प्रोजेक्टों के लिए मिला है। उनके कई शोध नेचर और केमिकल साइंस जैसी पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।
भारत में जन्मे चोपड़ा ने 2002 में आईआईटी दिल्ली से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया था। उसके बाद कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय इरविन से मैकेनिकल एंड एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमएस किया। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से कम्प्यूटेशनल मैथ में एडवांस डिग्री हासिल की, जहां नोबेल विजेता प्रोफेसर माइकल लेविट उनके मेंटर थे। चोपड़ा स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय सैन फ्रांसिस्को में पोस्ट डॉक्टोरल और फेलोशिप पदों पर भी रहे हैं।
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