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भारत-पाक युद्धविराम को लेकर बड़ा दावा, US एक्सपर्ट्स ने क्या कहा?

भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव और दोनों ओर से फायरिंग के बीच संघर्ष विराम समझौता शांति की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। हालांकि पाकिस्तान की ओर से बदले की भावना से कार्रवाई के बीच इस सीजफायर समझौते पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। इस हफ्ते शनिवार को हुआ सीजफायर महज तीन घंटे तक ही चल पाया कि पाकिस्तान की ओर गोलीबारी शुरू हो गई। ऐसे में मौजूदा हालात के बीच अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों ने इस संघर्ष विराम समझौते के स्थिरता को लेकर आशंका व्यक्त की है। 

अमेरिकी सामरिक विशेषज्ञों ने भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा मध्यस्थता किए गए संघर्ष विराम समझौते की स्थिरता पर चिंता व्यक्त की है। शनिवार को घोषित संघर्ष विराम जल्द ही टूट गया, क्योंकि जम्मू और कश्मीर में पाकिस्तान की ओर से सीमा पार से शत्रुता जारी रहने की रिपोर्टें सामने आईं। हालांकि इससे ठीक पहले शनिवार को ट्रंप ने घोषणा की कि भारत और पाकिस्तान दोनों तत्काल प्रभाव से संघर्ष विराम पर सहमत हो गए हैं।

राष्ट्रपति ट्रंप के पहले कार्यकाल (2017 से 2021 तक) दक्षिण एशिया के लिए उनकी पॉइंट पर्सन रहीं एक्सपर्ट लिसा कर्टिस के मुताबिक भारत और पाकिस्तान के एक दूसरे के प्रति जो रुख हैं, उससे कोई अच्छा संकेत नहीं मिलता। लिसा कर्टिस ने कहा, "संघर्ष विराम की घोषणा के बाद भारत और पाकिस्तान की प्रतिक्रियाएं एक-दूसरे के बिल्कुल विपरीत रही हैं, जो इसके भविष्य के स्थायित्व के लिए अच्छा संकेत नहीं है।"

उन्होंने आगे कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही इस मुद्दे पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रहे हैं। भारत इस बात से इनकार कर रहा है कि इस प्रक्रिया में वाशिंगटन की कोई महत्वपूर्ण भूमिका है, जबकि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति ट्रम्प को उनकी भागीदारी के लिए धन्यवाद दिया है।

दरअसल, कर्टिस वर्तमान में सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी (सीएनएएस) थिंक टैंक में इंडो-पैसिफिक सिक्योरिटी प्रोग्राम के वरिष्ठ फेलो और निदेशक हैं

उन्होंने कहा, "भारत ने इस बात से भी इनकार किया कि दोनों देश कई मुद्दों पर द्विपक्षीय वार्ता करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जबकि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने भरोसा जताया कि वे ऐसा करेंगे। युद्ध विराम से दोनों पक्षों को लाभ होगा और वे सैन्य वृद्धि को फिर से बढ़ने नहीं दे सकते। वे पहले ही एक व्यापक युद्ध को भड़काने के करीब पहुंच चुके हैं। अमेरिका द्वारा मध्यस्थता किए गए युद्ध विराम ने दोनों को जीत का दावा करने और युद्ध स्तर पर पीछे हटने का अवसर प्रदान किया है। सैन्य तनाव को कम करने के अवसर को गंवाना दोनों पक्षों के लिए जोखिम भरा कदम होगा।"

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जबकि हडसन इंस्टीट्यूट थिंक-टैंक की अपर्णा पांडे का मानना ​​है कि युद्ध विराम कायम रहेगा, लेकिन हालात को शांत होने में कुछ दिन लगेंगे। पांडे ने कहा, "मुझे विश्वास है कि दोनों देश अपने समझौतों का पालन करेंगे। ट्रम्प प्रशासन और चीन दोनों ही उच्च स्तर पर शामिल हैं, इससे यह संदेश जाता है कि वैश्विक शक्तियाँ इसमें शामिल हैं।"

वहीं अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के सदानंद धूमे ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "भारत का पाकिस्तान को संदेश: आप धार्मिक कट्टरपंथियों के घर हो सकते हैं जो अपने धर्म का पालन न करने पर लोगों की हत्या करते हैं। लेकिन आप ऐसे कट्टरपंथियों को सीमा पार भेजकर आम भारतीयों को बिना किसी दंड के मारने के लिए नहीं भेज सकते। यह एक सरल संदेश है, और ऐसा संदेश जो लंबे समय से लंबित था।" 

उन्होंने भारत और पाकिस्तान को उनके युद्ध विराम समझौते के लिए बधाई दी और कहा,"संयुक्त राष्ट्र में पूर्व अमेरिकी राजदूत जालमे खलीलजाद ने कहा कि इस समझौते को सुगम बनाने के लिए ट्रम्प प्रशासन को श्रेय दिया जाना चाहिए...जो हासिल हुआ है उसे आगे बढ़ाने, युद्ध की वापसी को रोकने के लिए अमेरिकी भागीदारी भी आवश्यक है।"


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