भारत धन प्रेषण के मामले में एक बार फिर रिकॉर्ड कायम करते हुए शीर्ष पर है। विदेश में प्रवास करने वाले भारतीय लगातार कई बरसों से दुनिया का ऐसा सबसे बड़ा समुदाय बने हुए हैं जो अपने घर सबसे अधिक पैसा भेजते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के भुगतान संतुलन के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2025 की पहली छमाही में प्रवासी भारतीयों ने भारत को रिकॉर्ड 135.46 बिलियन डॉलर भेजे। यह आंकड़ा पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है, जो देश द्वारा प्राप्त आवक प्रेषण का उच्चतम स्तर है। भारत लगातार एक दशक से अधिक समय से दुनिया में प्रेषण का शीर्ष प्राप्तकर्ता रहा है। 2016-17 के बाद से यह प्रवाह दोगुना से अधिक हो गया है, जब यह आंकड़ा 61 बिलियन डॉलर था। मार्च 2025 के मासिक बुलेटिन में प्रकाशित RBI के एक पर्चे में बताया गया है कि भारत में आने वाले अधिकांश प्रेषण विदेश में रहने वाले भारतीय श्रमिकों द्वारा व्यक्तिगत हस्तांतरण हैं, जिसमें गैर-निवासी जमा खातों से निकासी भी शामिल है।
गौरतलब है कि भारतीय लोग दुनिया के जिस देश में भी जाकर बसे या बसर कर रहे हैं, वहां का सबसे बड़ा समुदाय बन गए। अमेरिका इसकी नजीर है। वैसे धन प्रेषण के मामले में लगातार ऊपर बने रहना भारतीय लोगों से जुड़ी कई वृत्तियों को लगातार पुष्ट करता है। पहली बात तो यही है कि भारतीय जहां भी गए वहां उन्होंने खुद को जमाने और आगे बढ़ाने के लिए उस धरती को अपना मानकर काम किया। स्वभावगत लोचदार होने के नाते भारतीय लोगों को अपनाई गई धरती के समाज के साथ कदमताल करने में कभी कोई दिक्कत महसूस नहीं हुई। बेशक, इसीलिए वे अमेरिका से लेकर कनाडा और मॉरीशस से लेकर सूरीनाम तक समाज, सियासत और कारोबारी जगत में खुद को जमाते चले गए। यहां यह ध्यान रखना होगा कि विदेश जाने वाला एक वर्ग तो वह है जो दूसरी धरती पर जाता ही इसलिए है कि वह वहां बस जाना चाहता है। यह बात संपन्न वर्ग को लेकर तो कही ही जा सकती है, क्योंकि इसकी योजनाएं अलग तरह की होती हैं। एक वर्ग वह है जो भारत छोड़ता ही इसलिए है कि वह वहां रहना नहीं चाहता। इसलिए उसका धन प्रेषण जैसे किसी मामले से कोई लेना-देना नहीं। इसके कई कारण हो सकते हैं। विदेशों में अधिक पैसा, अधिक अवसर, उन्नत और ईमानदार व्यवस्थाएं आदि। लेकिन एक बड़ा वर्ग वह भी है जो विदेश जाता ही इसलिए है ताकि वहां से पैसा कमाकर अपने देश में अपने परिवार-परिजनों की आर्थिक जरूरतें पूरी कर सके या आर्थिक स्थितियां बेहतर कर सके। यह मजदूरी करने वाला वर्ग है। इसी श्रमिक वर्ग की बात भारतीय रिजर्व बैंक ने की है जिसके व्यक्तिगत हस्तांतरण के दम पर धन प्रेषण के मामले में भारतीय समुदाय दुनिया में सबसे आगे है। यही बड़ा तबका विदेश में गैर निवासी है।
इस मेहनतकश वर्ग को आप दुनिया के लिहाज से भी देख सकते हैं और अपने देश के लिहाज से भी। यानी स्थानीय स्तर पर भी। जैसे भारत में ही बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल या अन्य राज्यों के लोग दिल्ली-एनसीआर आ जाते हैं और मेहनत-मजदूरी करके वहां अपना गुजारा करते हैं लेकिन अपने घर के लिए पैसा जोड़ना और ससमय भेजना नहीं भूलते। उनके प्रवास का यही लक्ष्य होता है। ठीक वैसा ही विदेश में है। अमेरिका से लेकर दुबई तक इसी प्रवासी भारतीय समुदाय की बड़ी उपस्थिति है।
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