अमेरिका और भारत के व्यापार वार्ताकार राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की 9 जुलाई की वार्ता की समय सीमा से पहले टैरिफ कम करने वाले सौदे को हासिल करने की कोशिश मे हैं लेकिन वार्ता से परिचित सूत्रों का कहना है कि अमेरिकी डेयरी और कृषि मामसों पर मतभेद बने हुए हैं।
यह प्रयास ऐसे समय में किया गया है जब ट्रम्प ने वियतनाम के साथ एक समझौते की घोषणा की है, जिसके तहत कई वियतनामी वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ को उनके पहले के 46 प्रतिशत की घोषणा से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। ट्रम्प ने कहा कि अमेरिकी उत्पाद वियतनाम में शुल्क मुक्त प्रवेश कर सकते हैं, लेकिन विवरण बहुत कम थे।
ट्रम्प ने 2 अप्रैल को 'मुक्ति दिवस' पर पारस्परिक टैरिफ के तहत भारतीय वस्तुओं पर 26 प्रतिशत शुल्क लगाने की धमकी दी थी, जिसे वार्ता की मोहलत के चलते अस्थायी रूप से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया था।
भारत के वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि 26 और 27 जून को शुरू हुई वार्ता के लिए भारत का एक व्यापार प्रतिनिधिमंडल एक सप्ताह बाद भी वाशिंगटन में है। सूत्रों ने कहा कि भारतीय वार्ताकार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए लंबे समय तक रुक सकते हैं, लेकिन प्रमुख कृषि और डेयरी मुद्दों पर समझौता किए बिना।
उन्होंने कहा कि अमेरिका में उगाए जाने वाले आनुवंशिक रूप से संशोधित मक्का, सोयाबीन, चावल और गेहूं पर टैरिफ कम करना अस्वीकार्य है। एक सूत्र और भारत के बड़े राजनीतिक दल से जुड़े शख्स ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार किसानों के हितों के आगे घुटने देखने वाली हुकूमत के तौर पर देखी जा सकती है।
हालांकि, सूत्र ने कहा कि भारत अखरोट, क्रैनबेरी और अन्य फलों के साथ-साथ चिकित्सा उपकरणों, ऑटो और ऊर्जा उत्पादों पर टैरिफ कम करने के लिए तैयार है। वार्ता से परिचित एक अमेरिकी सूत्र ने कहा कि 'संकेत हैं कि वे करीब हैं' और वार्ताकारों को संभावित घोषणा के लिए तैयार रहने को कहा गया है।
सूत्र ने कहा कि सौदा करने के लिए गहन और रचनात्मक प्रयास किए गए हैं। मुझे लगता है कि दोनों पक्ष आर्थिक महत्व से परे, सौदा करने के रणनीतिक महत्व को समझते हैं।
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