अमेरिकी रिटेल दिग्गज वॉलमार्ट की स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी (NBFC) के रूप में सीधे कस्टमर्स और विक्रेताओं को लोन देने की अनुमति दी है। यह पहला मौका है जब RBI ने किसी बड़े ई-कॉमर्स प्लेयर को इस प्रकार का लाइसेंस दिया है।
फ्लिपकार्ट ने 2022 में इस लाइसेंस के लिए आवेदन किया था और RBI ने मार्च 13, 2025 को इसे मंजूरी दी। इससे फ्लिपकार्ट अपने प्लेटफॉर्म पर मौजूद ग्राहकों और विक्रेताओं को सीधे लोन प्रदान कर सकेगा, जो समूह के लिए अधिक लाभकारी मॉडल माना जाता है।
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फिलहाल, अधिकांश ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बैंक और NBFC के साथ साझेदारी करके लोन देते हैं, लेकिन अब फ्लिपकार्ट के पास खुद लोन देने का अधिकार होगा। फ्लिपकार्ट अपनी फिनटेक ऐप super.money के जरिए भी लोन सुविधा प्रदान कर सकता है।
एक स्रोत के अनुसार, फ्लिपकार्ट कुछ महीनों में इस सेवा की शुरुआत कर सकता है, लेकिन इसके लिए कंपनी को प्रबंधन नियुक्त करने और बिजनेस प्लान फाइनल करने जैसे आंतरिक प्रक्रियाएं पूरी करनी होंगी।
वर्तमान में फ्लिपकार्ट, एक्सिस बैंक, IDFC बैंक और क्रेडिट सीजॉन जैसे लेंडर्स के साथ मिलकर व्यक्तिगत लोन उपलब्ध कराता है।
फ्लिपकार्ट का मूल्यांकन 2024 में 37 बिलियन डॉलर था और कंपनी अपनी होल्डिंग सिंगापुर से भारत स्थानांतरित कर रही है। वॉलमार्ट ने 2018 में फ्लिपकार्ट में नियंत्रण वाली हिस्सेदारी खरीदी थी, जिसके तहत उसने फोनपे नामक फिनटेक कंपनी का भी अधिग्रहण किया है।
इससे पहले, फ्लिपकार्ट के प्रतिद्वंद्वी अमेज़न ने बेंगलुरु स्थित गैर-बैंकिंग लेंडर एक्सियो का अधिग्रहण किया था, लेकिन उसे RBI की मंजूरी अभी नहीं मिली है।
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