भारतीय अमेरिकी उद्योगपतियों सुरेश यू. कुमार और राकेश मल्होत्रा ने ट्रंप प्रशासन द्वारा 1 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर 25 फीसदी आयात शुल्क लगाने के फैसले की तीखी आलोचना की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यह कदम न केवल द्विपक्षीय व्यापार को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा, बल्कि भारत-अमेरिका संबंधों में भी तनाव पैदा कर सकता है।
दशकों की प्रगति खतरे में
टाई (TiE) न्यू जर्सी के अध्यक्ष डॉ. सुरेश यू. कुमार ने एक बयान में कहा कि इस फैसले के साथ भारत की रूस के साथ रक्षा और ऊर्जा संबंधों को लेकर अलग से लगाई गई सजा भी दोनों देशों के बीच दशकों से संजोए गए रिश्तों को नुकसान पहुंचा सकती है।
उन्होंने कहा, लगातार अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए द्विदलीय प्रयास किए हैं। ये नए टैरिफ उस पूरी प्रगति को पीछे धकेल सकते हैं। 2024 में भारत का अमेरिका को निर्यात 87.4 अरब डॉलर तक पहुंच गया था, जिसमें दवाएं, वस्त्र और स्मार्टफोन जैसे क्षेत्र शामिल हैं। कुमार ने कहा कि नए टैरिफ के कारण भारतीय उद्योगों में भारी उथल-पुथल की आशंका है।
छोटे कारीगरों की नौकरियां खतरे में
उन्होंने भारत के रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद के किरीट भंसाली जैसे उद्योग विशेषज्ञों के हवाले से कहा, इस कदम से लागत बढ़ेगी, शिपमेंट में देरी होगी और बाजार में मूल्य असंतुलन होगा। इसका असर विशेष रूप से छोटे कारीगरों की नौकरियों पर पड़ेगा।
कुमार ने यह भी कहा कि यह कदम इस वर्ष प्रस्तावित व्यापार समझौते को भी पटरी से उतार सकता है। उन्होंने भारत-रूस रक्षा संबंधों पर लगाए गए दंड को "अस्वीकार्य" बताया। कुमार ने कहा, जैसे भारत अमेरिका की विदेश नीति तय नहीं करता, वैसे ही अमेरिका को भी यह तय करने का अधिकार नहीं कि एक संप्रभु देश किसके साथ संबंध रखे। उन्होंने इसे भारत की संप्रभुता और आत्मनिर्णय पर सीधा हमला बताया।
उन्होंने भारतीय अमेरिकी समुदाय से अपील की कि वे अपने प्रतिनिधियों से संपर्क करें और इस निर्णय के खिलाफ आवाज उठाएं। उन्होंने कहा, यह वक्त है जागरूक और सक्रिय रहने का।
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