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पैरेक्सेल कार्यकारी को उम्मीद- भारत क्लिनिकल परीक्षण का बड़ा केंद्र बनने के करीब

दुनिया के शीर्ष नैदानिक ​​​​अनुसंधान संगठनों में से एक और डरहम, उत्तरी कैरोलिना में मुख्यालय वाला पैरेक्सेल भारत में 100 से 150 परीक्षण स्थलों का संचालन करता है।

सांकेतिक चित्र / Reuters/Dado Ruvic

कॉन्ट्रैक्ट रिसर्च फर्म पैरेक्सेल के एक अधिकारी का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे संकटों के प्रभाव को कम करने में मदद के लिए भारत प्रारंभिक चरण के नैदानिक ​​​​परीक्षणों के लिए एक वैकल्पिक ठिकाने के रूप में उभरने के लिए तैयार है।

पैरेक्सेल के भारतीय परिचालन प्रमुख संजय व्यास ने कहा कि अमेरिका स्थित कंपनी अगले तीन से पांच वर्षों में भारत में अपने कर्मचारियों की संख्या को 2,000 से अधिक करने की योजना बना रही है। कंपनी में वर्तमान में लगभग 6,000 कर्मचारी हैं।

व्यास ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे भू-राजनीतिक संघर्षों से बाधित नैदानिक ​​​​परीक्षणों को आकर्षित करने के लिए भारत अच्छी स्थिति में है। इसके साथ ही चीन पर निर्भरता कम करने के वैश्विक दवा निर्माताओं के प्रयास भी उसे वैकल्पिक ठिकाने के रूप में स्थापित करने में मददगार साबित हो सकते हैं। 

वर्ष 2022 में आक्रमण से पहले यूक्रेन, रूस के साथ नई दवाओं के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण देश बन गया था। हालांकि बाद के वर्षों में बड़ी कंपनियों और शोधकर्ताओं ने वहां परीक्षणों में व्यवधान की सूचना दी। व्यास ने कहा कि पैरेक्सेल उन भूमिकाओं के लिए नियुक्तियां करने की योजना बना रहा है जो इनोवेशन हब बनाने में मदद कर सकती हैं। 

भारत के दक्षिणी राज्य तेलंगाना में चल रहे बायोएशिया सम्मेलन के मौके पर व्यास ने कहा कि ये संभावनाएं इसलिए बनती हैं क्योंकि भारत में विफलता की लागत दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में बहुत कम है।

दुनिया के शीर्ष नैदानिक ​​​​अनुसंधान संगठनों में से एक और डरहम, उत्तरी कैरोलिना स्थित पेरेक्सेल भारत में 100 से 150 परीक्षण स्थलों का संचालन करता है। ये केंद्र महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों में स्थित हैं। अमेरिका स्थित ग्रैंडव्यू रिसर्च के अनुसार भारत का क्लिनिकल परीक्षण डेटा बाजार 2025 में 1.51 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।

हालांकि परीक्षण करने के लिए एक विश्वसनीय क्षेत्र के रूप में भारत की प्रतिष्ठा में सुधार हो रहा है किंतु कुछ प्रारंभिक चरण के अध्ययनों के लिए मानकीकृत नियमों की कमी जैसी कई चुनौतियां दवा निर्माताओं के लिए शीर्ष विकल्प की राह में बाधा बनी हुई हैं।

व्यास ने भारत में अन्य चुनौतियों के रूप में रोगियों और डॉक्टरों के बीच प्रयोगात्मक उपचार के बारे में जागरूकता की कमी के साथ-साथ दूरदराज के क्षेत्रों में परीक्षण स्थलों की स्थापना पर भी प्रकाश डाला।
 

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