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ट्रम्प की विरासत बनाम कमला हैरिस के सामने पहचान का संकट

कमला हैरिस शायद यह नहीं चाहेंगी कि उन्हें भारतीय होने से जोड़कर देखा जाए। क्योंकि ऐसा करने पर उनकी मुख्य ताकत- अल्पसंख्यक वोट - खतरे में पड़ सकते हैं। इसलिए अपनी भारतीय जड़ों से जुड़ने से कतराते हुए, वह खुद को एक अफ्रीकी अमेरिकी के रूप में पेश करती हैं।

संपत शिवांगी / NIA

संपत शिवांगी : उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के लिए यह एक अनोखा मौका है। अमेरिका के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रूप में उनके लिए बड़ी तादाद में एशियाई अमेरिकी और अफ्रीकी अमेरिकी महिलाओं के वोटों का फायदा उठाना जरूरी है। यह हैरिस के लिए एक परीक्षा का समय भी है। वे शायद यह नहीं चाहेंगी कि उन्हें भारतीय होने से जोड़कर देखा जाए। क्योंकि ऐसा करने पर उनकी मुख्य ताकत- अल्पसंख्यक वोट - खतरे में पड़ सकते हैं। बहुत से लोग उन्हें राष्ट्रपति बनने का मौका नहीं देना चाहते थे।

कमला हैरिस ने शायद कभी इस तरह की स्थिति का सामना होने की कल्पना नहीं की होगी। असल में राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार पदासीन राष्ट्रपति बाइडेन थे। लेकिन किस्मत उनके साथ नहीं रही। कुछ मौके चूक गए और उम्र से जुड़ी और चिंताजनक मानसिक समस्याएं भी आईं। आखिरकार उन्हें बराक ओबामा और बिल क्लिंटन जैसे पार्टी के बड़े नेताओं ने दौड़ से वापस हटने के लिए मना लिया।

ऐसे में यह भूमिका अब कमला हैरिस को निभानी पड़ी। अपनी भारतीय जड़ों से जुड़ने से कतराते हुए, वह खुद को एक अफ्रीकी अमेरिकी के रूप में पेश करती हैं।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उनकी अफ्रीकी अमेरिकी वंश पर सवाल उठाए थे। प्रेस उनके भारतीय वंश को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था। हम सब जानते हैं कि हैरिस अपनी मां श्यामला गोपालन, (तमिल भारतीय) और चेन्नई में रहने वाले अपने नाना जी के करीब थीं। हैरिस ने ट्रम्प के साथ राष्ट्रपति चुनाव बहस में अपनी छाप छोड़ी और पूर्व राष्ट्रपति को पछाड़ने की कोशिश की। लेकिन दुर्भाग्य से, हैरिस ने कभी भी अमेरिका और विश्व मामलों में राष्ट्रपति बाइडेन जैसी महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाई।

हालांकि, यह भी माना जाना चाहिए कि हैरिस को अपने कौशल, अधिकार या राजनीतिक समझदारी दिखाने के लिए बहुत मौके नहीं मिले। उनके सामने वास्तविक चुनौतियां आईं, जैसे अफगानिस्तान से वापसी, हत्या, बलात्कार और नशीले पदार्थों के दुरुपयोग के मामलों में दोषी पाए गए लाखों अवैध प्रवासियों को देश में प्रवेश देना।

ट्रम्प और रिपब्लिकन ने उन्हें 'border Czar' कहा, दावा किया कि उनके प्रयासों के बावजूद वह अवैध, बड़े पैमाने पर सीमा पार करने वाले लोगों को नियंत्रित करने में नाकाम रहीं। यह वास्तव में एक विपदा थी।

राष्ट्रपति बाइडेन का कार्यकाल युद्धों से घिरा हुआ रहा। इजराइल-ईरान, रूस और यूक्रेन में संघर्ष चल रहा है। इसके विपरीत, राष्ट्रपति ट्रम्प का कार्यकाल किसी भी युद्ध के बिना शांतिपूर्वक बीत गया। यह कुछ ऐतिहासिक था। मुझे विश्वास है कि राष्ट्रपति ट्रम्प इन अनैतिक और अनुचित युद्धों से बचते। आर्थिक मोर्चे पर राष्ट्रपति ट्रम्प के प्रशासन ने सबसे अच्छी आर्थिक स्थितियों की पेशकश की। इनमें कम ब्याज दर, कम बिजली बिल और सबसे कुशल संघीय सरकार और प्रणालियां थीं।

महत्वपूर्ण बात यह है कि वह भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक अच्छे दोस्त हैं। उन्होंने अपने राष्ट्रपति पद के तीसरे वर्ष में भारत का एक ऐतिहासिक दौरा किया था। राष्ट्रपति ट्रम्प गर्व से कहते हैं कि वे 'भारत के एक बड़े दोस्त और हिंदुओं के प्रशंसक' हैं।

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