अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने 8 जुलाई को कहा कि अमेरिका 'बहुत जल्द' ब्रिक्स देशों से आयात पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाएगा। इसके बाद ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा, जिन्होंने हाल ही में ब्रिक्स के वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की थी, ने एक और शिकायत दर्ज कराई।
ट्रम्प ने 6 जुलाई को टैरिफ की धमकी दी थी। इसके बाद 8 जुलाई को व्हाइट हाउस में कैबिनेट बैठक में कहा कि यह शुल्क जल्द ही लागू होग। कहा गया- जो कोई भी ब्रिक्स का सदस्य है, उस पर बहुत जल्द 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा। अगर वे ब्रिक्स के सदस्य हैं तो उन्हें 10 प्रतिशत टैरिफ देना होगा और वे ज़्यादा समय तक सदस्य नहीं रहेंगे।"
पिछले साल ब्रिक्स समूह का विस्तार करते हुए ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से आगे बढ़कर ईरान और इंडोनेशिया जैसे सदस्यों को भी इसमें शामिल कर लिया गया। रियो डी जेनेरियो में हुए शिखर सम्मेलन में नेताओं ने अमेरिकी सैन्य और व्यापार नीतियों की अप्रत्यक्ष आलोचना की थी।
ट्रम्प की टैरिफ़ धमकी के बारे में पूछे जाने पर लूला ने 7 जुलाई को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पत्रकारों से कहा कि दुनिया किसी सम्राट को नहीं चाहती। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजकीय यात्रा के बाद लूला ने 8 जुलाई को और असहमति जताई।
ब्रासीलिया में पत्रकारों से उन्होंने कहा कि हम ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बारे में किसी भी शिकायत को स्वीकार नहीं करेंगे। हम अमेरिकी राष्ट्रपति के इस आरोप से सहमत नहीं हैं कि वह ब्रिक्स देशों पर टैरिफ़ लगाने जा रहे हैं।
ट्रम्प ने ब्रिक्स टैरिफ़ लागू होने की कोई निश्चित तारीख नहीं बताई। अलबत्ता, 7 जुलाई को, इस मामले से परिचित एक सूत्र ने कहा कि ट्रम्प प्रशासन टैरिफ़ तभी लगाएगा जब देश अमेरिका विरोधी नीतियाँ अपनाएँगे। इस तरह उन्होंने इस कदम को ब्रिक्स नेताओं द्वारा 6 जुलाई को दिए गए बयानों से अलग बताया।
ट्रम्प ने 8 जुलाई को बिना किसी सबूत के दावा किया कि इस समूह का गठन अमेरिका और दुनिया की आरक्षित मुद्रा के रूप में अमेरिकी डॉलर की भूमिका को नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया है। उन्होंने कहा लेकिन वे ऐसा नहीं होने देंगे।
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