लघु फिल्म 'दि पटेल मोटल स्टोरी' का प्रीमियर न्यूयॉर्क शहर में 2025 ट्रिबेका फेस्टिवल में होगा। फेस्टिवल 4 जून से शुरू हो रहा है। 'दि पटेल मोटल स्टोरी' बताती है कि कैसे गुजरात से आए भारतीय प्रवासियों ने संयुक्त राज्य अमेरिका में एक विशाल होटल साम्राज्य का निर्माण किया।
ट्रिबेका फेस्टिवल का 24वां संस्करण 4 जून से 15 जून तक न्यूयॉर्क शहर के विभिन्न स्थानों पर चलेगा। इसकी शुरुआत बीकन थिएटर से होगी। रॉबर्ट डी नीरो, जेन रोसेन्थल और क्रेग हैटकॉफ द्वारा 2002 में स्थापित यह फेस्टिवल फिल्म, टेलीविजन, संगीत और अन्य रूपों में कहानी कहने का जश्न मनाता है।
अमर शाह और राहुल रोहतगी द्वारा निर्देशित 'द पटेल मोटल स्टोरी' फेस्टिवल के शॉर्ट्स: कॉमन ग्राउंड कार्यक्रम का हिस्सा हैं। इसमें पांच अन्य फिल्में शामिल हैं। यह डॉक्यूमेंट्री महेंद्र दोशी की किताब 'सूरत टू सैन फ्रांसिस्को' पर आधारित है। इसमें बताया गया है कि कैसे गुजरात से आए बिना दस्तावेज वाले (अवैध) भारतीय प्रवासियों के एक समूह ने संयुक्त राज्य अमेरिका में एक मोटल साम्राज्य की नींव रखी।
कहानी 1942 में शुरू होती है जब तीन भारतीय खेतिहर मजदूर- कांजी मांचू देसाई, नानालाल पटेल और डी. लाल- कैलिफोर्निया के सैक्रामेंटो में एक होटल में आते हैं। जापानी अमेरिकी मालिक को संपत्ति छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था क्योंकि उसे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक नजरबंदी शिविर में भेजा गया था। तीनों, जो ब्रिटिश शासित भारत से भाग आए थे और सैन जोकिन घाटी में अवैध रूप से काम कर रहे थे, ने व्यवसाय को संभाल लिया। वह होटल अमेरिकी आतिथ्य क्षेत्र में प्रवेश करने वाले गुजराती प्रवासियों की पीढ़ियों के लिए शुरुआती बिंदु बन गया।
एक फेसबुक पोस्ट में महेंद्र दोशी ने लिखा- मैं बहुत उत्साहित हूं कि पटेल होटलियर्स स्टोरी बड़े पर्दे पर दिखाई-बताई जाएगी। निर्देशकों-निर्माताओं ने अपनी फीचर फिल्म को बयान करने के लिए मेरी किताब, सूरत टू सैन फ्रांसिस्को को आधार बनाया है।
फिल्म के कलाकारों में खुद दोशी के साथ-साथ ज्योति सरोलिया, रूपेश पटेल और मेहुल पटेल शामिल हैं। इसका निर्माण शाह, रोहतगी, मिलन चक्रवर्ती और संजय एम. शर्मा ने किया है। नाथन वेयलैंड छायाकार हैं, एलेक्स वोल्फ संपादक हैं तथा संगीत जॉन पिस्किटेलो और आलोक मेहता ने दिया है। चित्रण रिया सजित का है।
शाह और रोहतगी के अनुसार साक्षात्कारों, संस्मरणों और अभिलेखीय सामग्रियों का उपयोग करते हुए फिल्म पहली बार यह पता लगाएगी कि भारतीय-अमेरिकी होटल व्यवसायियों की सफलता की शुरुआत कैसे हुई। फिल्म निर्माता एशियाई-अमेरिकी होटल मालिक संघ के वार्षिक सम्मेलन AAHOACON जैसे आयोजनों के माध्यम से अमेरिकी आतिथ्य में पटेल की उपस्थिति के दायरे को उजागर करते हैं। उन्होंने फिल्म के आधिकारिक पृष्ठ पर लिखा- प्रत्येक उपस्थित व्यक्ति एक होटल या मोटल अथवा उनमें से सैकड़ों का मालिक या प्रबंधक है। और यदि आप सम्मेलन केंद्र से गुजरते हैं... तो आपको बार-बार एक ही नाम दिखाई देगा: पटेल।
निर्देशकों का कहना है कि हमने एक मोटल में किए गए निवेश को कई अरब डॉलर के उद्योग में बदल दिया और किसी ने इस पर ध्यान भी नहीं दिया। अब समय आ गया है कि कैमरे को हमारी अमेरिकी कहानियों की ओर मोड़ें।
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