इंडियाना से ठीक सटा एक राज्य है ओहायो। इस राज्य ने कमाल की महिला लेखक और कवि दिए हैं दुनिया को। लेखिका टोनी मॉरीसन, मेरी ऑलिवर और रीटा डॉव यहीं पैदा हुई थीं।
अमेरिकी कवियों में ‘मेरी ऑलिवर’ मेरी प्रिय कवियों में से एक हैं। पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित ओलिवर की कविताएं प्रकृति से जुड़ी और प्रोत्साहित करने वाली होती हैं। निराशा में उम्मीद जगाती हैं।
जब हमारा तबादला इंडियाना हुआ तो मुझे बहुत ख़ुशी हुई थी। पहला कारण तो यह कि यहां घूमने का एक बहुत बड़ा संसार मेरे सामने पड़ा था। फिर दूसरा कि मेरी ऑलिवर का जन्म स्थान, ओहायो भी तो पास में था।
ऑलिवर का जन्म जिस सबर्ब में हुआ था वह स्थान अब काफी विकसित हो चुका है। फिर अपनी पर्सनल लाइफ को बहुत हद तक निजी रखने वाली ऑलिवर का घर बहुत ढूढ़ने परभी नहीं मिला। न ही ओहायो गवर्मेंट ने उनके नाम पर किसी म्यूजियम की स्थापना की है। बस जैसे-तैसे गूगल की मदद से एक ठीक ठाक जगह पर पहुंची जहां कहीं उनके बचपन का घर रहा होगा।
ख़ैर, यह ओहायो का असर था कि जंगल, बर्फ़, हवाओं के बीच जन्मीं ऑलिवर प्रकृति के बहुत करीब होती चली गईं। पर उनका बचपन सहज न था।
चाइल्ड अब्यूज की शिकार ऑलिवर अपनी कविताओं में इंसान से ज्यादा प्रकृति के करीब होती चली गईं। इनकी कविताओं के सिवा अगर आप इनकी पर्सन लाइफ के बारे में जानना चाहें तो आपको बहुत कम ही जानकारी मिलेगी।
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मैं इनका जन्म स्थान घूम आयी पर इनका घर नहीं मिला। मैं थोड़ी निराश थी। संयोग ऐसा बना की पांच साल बाद मैं ऐसी जगह पहंची जहां वे अपने अंतिम बरसों में रहीं। पर फिर दिक्कत वही। ऑलिवर ने यहां का भी अपना पता- ठिकाना नहीं छोड़ रखा था।
शायद वे ख़ुद और प्राकृतिक के साथ ही जीना चाहती थीं और उसी के साथ इस दुनिया को विदा कहना था। या फिर वे चाहती हों दुनिया उन्हें उनकी कविताओं में ढूंढ़े न कि किसी म्यूज़ियम या उनके जन्म-मृत्यु स्थल पर।
वे अपनी कविता में कहती हैं...
तुम्हें अच्छा बनने की कोई जरूरत नहीं
न ही घुटनों के बल चलने की
सैकड़ों मील रेगिस्तान में चलकर, पछताने की।
तुम्हे बस अपनी देह के नर्म जीव को मुक्त कर देना है प्रेम के लिए
उसे जिससे वह प्रेम करता है।
तुम मुझसे कहो अपनी निराशाएं, मैं कहूंगी तुम्हे अपनी
इस बीच दुनिया चलती रहेगी
इस बीच सूरज और बारिश की पारदर्शी बूंदें घूमती रहेंगी परिदृश्य में
घास के मैदानों और घने पेड़ों पर,
पहाड़ो और नदियों पर।
इसी बीच नीले ऊंचे आकाश की स्वच्छ हवा में,
जंगली बतख़ें फिर घर लौट रही हैं।
तुम जो कोई भी हो, कितने भी अकेले,
यह दुनिया तुम्हारी कल्पना के लिए खुली है,
तुम्हें बुलाती है उसी जंगली बतख़ की तरह, निष्ठुरता और उत्तेजना से
बार-बार, बताती है तुम्हें तुम्हारा स्थान,
इन सब चीजों के परिवार में है।
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