अभिनेता राज कपूर ने बतौर निर्देशक आग से अपनी शुरुआत की थी और वे अपने अगले प्रोडक्शन 'बरसात' की योजना बना रहे थे। उन्होंने पहले ही नरगिस को अपने साथ लेने का फैसला कर लिया था, लेकिन दूसरे मुख्य किरदार के लिए किसी नए चेहरे की तलाश कर रहे थे। नवाब बानो के स्वाभाविक आकर्षण और मासूमियत ने उनका ध्यान खींचा और उन्होंने पीछे मुड़कर पूछा- ऐ लड़की, तुम्हारा नाम क्या है? इस पर लड़की को जवाब देने में 5 मिनट लग गए।
कुछ दिनों बाद, उसे कुछ अन्य उम्मीदवारों के साथ ऑडिशन के लिए महबूब स्टूडियो में बुलाया गया। घबराहट से उबरते हुए, नवाब बानो ने अपने चेहरे पर आंसू बहाते हुए भावनात्मक संवाद बोले। जैसे ही 'कट' की घोषणा हुई, जोरदार जयकारे गूंज उठे और सभी ने तालियां बजाना शुरू कर दिया, यह मानते हुए कि वह वास्तविक भावनाओं से अभिभूत थी। जब मिठाइयां बांटी जा रही थीं तो हैरान नवाब बानो को आश्चर्य हुआ कि वे किस बात का जश्न मना रहे थे। तब उन्हें बताया गया कि उन्होंने परीक्षा पास कर ली है। यानी ऑडिशन। वह बरसात की दूसरी मुख्य नायिका थीं।
इस फिल्म ने सुनहरी संसार में एक नया नाम भी पेश किया। नवाब बानो का नाम राज कपूर ने नरगिस के किरदार के नाम पर निम्मी रख दिया। राज कपूर ने नवोदित अभिनेत्री का साथ दिया और सभी से कहा कि निम्मी उन सभी से बड़ी स्टार बनेगी।
जैसे ही इस नवोदित अभिनेत्री के बारे में खबर फैली बॉलीवुड के सबसे बड़े और बेहतरीन लोग निम्मी को लुभाने लगे। हैरानी की बात यह है कि उन्होंने इनमें से कोई भी बेहतरीन ऑफर स्वीकार नहीं किया, बल्कि बरसात को अपनी पहली फिल्म बन जाने का इंतजार करना बेहतर समझा।
यह फिल्म 22 अप्रैल, 1949 को रिलीज हुई और A प्रमाणपत्र के बावजूद यह साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी। जब राज और नरगिस ने अपने बेबाक जुनून से स्क्रीन पर आग लगा दी और बड़े सितारे बन गए तो निम्मी ही थीं जिन्होंने लोगों की सहानुभूति पाई और लता मंगेशकर के कुछ बेहतरीन गाने गाए, जिनमें जिया बेकरार है, बरसात में हमसे मिले तुम और पतली कमर शामिल हैं।
अगले साल उन्होंने राज कपूर के साथ बांवरा में फिर से काम किया। राज अपने निधन तक उनके राखी भाई बने रहे। उन्हें अंदाज के तीसरे मुख्य अभिनेता दिलीप कुमार के साथ भी काम करने का मौका मिला। 1951 में उनकी जोड़ी दीदार में बनी, जो अधूरे प्यार की एक और कहानी थी। 1952 से 1955 के बीच इस जोड़ी ने आन, दाग, अमर और उड़न खटोला जैसी फिल्में कीं।
महबूब खान की विदेशी एडवेंचर ड्रामा आन भारत की पहली टेक्नीकलर फिल्म थी। उस समय की सबसे महंगी फिल्म। इसमें नादिरा को मुख्य भूमिका में राजकुमारी राजश्री के रूप में पेश किया गया था। निम्मी ने त्रासदीपूर्ण मंगला का किरदार निभाया था, जो जय (दिलीप कुमार) के लिए तरसती है। जय उससे प्यार नहीं करता और वह प्रेम नाथ द्वारा निभाए गए खलनायक राजकुमार के अवांछित व्यवहार से खुद को बचाने के लिए जहर खा लेती है।
आन को 17 भाषाओं में सबटाइटल के साथ जापान सहित 28 देशों में रिलीज किया गया। एक बार फिर, निम्मी ने सभी तरह से प्रशंसा और सार्वजनिक सहानुभूति हासिल की। इतनी कि आन के तमिल संस्करण का नाम उनके चरित्र के नाम पर रखा गया, साथ ही फ्रेंच संस्करण का नाम भी रखा गया। मंगला यानी फिले डेस इंडेस-मंगला, द गर्ल ऑफ इंडिया।
सैवेज प्रिंसेस नामक अंग्रेजी संस्करण के लंदन प्रीमियर में ऑस्ट्रेलियाई-अमेरिकी अभिनेता एरोल फ्लिन ने कथित तौर पर निम्मी का हाथ चूम कर उनका अभिवादन करने की कोशिश की थी। मगर निम्मी ने अपना हाथ खींच लिया था और अभिनेता को सख्ती से कहा था कि वह एक भारतीय लड़की है और वह 'ऐसा नहीं कर सकता' और अगले दिन अखबार की सुर्खी बनी- अन-किस्ड गर्ल ऑफ इंडिया।
लंदन प्रीमियर में निम्मी को चार हॉलीवुड फिल्मों के प्रस्ताव भी मिले। इनमें से एक अभिनेता, निर्माता, निर्देशक सेसिल बी. डेमिले की थी। उन्होंने उन सभी को ठुकरा दिया और बसंत बहार, सोहनी महिवाल और अंगुलिमाल के साथ भारतीय बॉक्स-ऑफिस पर राज करने के लिए घर लौट आईं।
हालांकि उन्होंने अपने करियर में के कुछ गलत फैसले लिए। साधना और सरस्वती चंद्र जैसी फिल्मों को ठुकरा दिया, जो वैजयंतीमाला और नूतन के लिए चमत्कार साबित हुईं और मेरे महबूब में बहन की भूमिका को चुना, जिससे नायिका साधना के लिए मैदान खुला रह गया और वो रातोंरात स्टार बन गईं।
लंबी बीमारी के बाद 25 मार्च, 2020 को 88 वर्ष की आयु में निम्मी का निधन हो गया। उनकी शालीनता, गरिमा और साक्षात्कारों के दौरान उनके द्वारा गाए जाने वाले गीतों ने उन्हें अंत तक अविस्मरणीय बनाए रखा है।
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